एक विशिष्ट व्यक्तित्व ज्ञानी जैल सिंह
एक विशिष्ट व्यक्तित्व ज्ञानी जैल सिंह
मैं स्वयं को अत्यंत गौरवान्वित अनुभव करती हूँ कि आज अपने इस आलेख के माध्यम से मुझे भारत के सप्तम् राष्ट्रपति महामहिम आदरणीय ज्ञानी जैल सिंह के अनुपम चरित्र से आप सबको परिचित कराने का सुअवसर प्राप्त हुआ है।
आदरणीय ज्ञानी जैल सिंह जी का जन्म 5 मई 1916 को ब्रिटिश भारत के फरीदकोट राज्य के ग्राम संघवान में हुआ था जो कि वर्तमान में पंजाब राज्य के अधीन है। इनके पिता का नाम श्री किशन सिंह एवं माता का नाम श्रीमती इंद्रा कौर था।आप भारत के पहले राष्ट्रपति थे जिनका पंथ सिख था। आपने ग्रंथी बनने का प्रशिक्षण लिया था और अमृतसर की सिख मिशनरी विद्यालय में प्रशिक्षण के दौरान आपके ज्ञानी की उपाधि दी गई थी जिसका अर्थ है विद्वान व्यक्ति। आप किसान आंदोलनों एवं फरीदकोट में एक प्रतिनिधि सरकार की माँग करने वाले आंदोलन से जुड़े थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से संबद्ध संगठन “प्रजामंडल” में उनकी राजनीतिक सक्रियता के कारण उन्हें 1938 से 1943 के बीच एकांत कारावास की सजा सुनाई गई। जेल में ही आपने अपना नाम जनरैल सिंह से बदलकर जैल सिंह कर लिया जिसके कारण अब लोग उन्हें ज्ञानी जैल सिंह कहकर संबोधित करने लगे थे।
स्वतंत्रता पश्चात जब फरीदकोट को पटियाला एवं पूर्वी पंजाब राज्य में मिला दिया गया तब ज्ञानी जैल सिंह ने 1949-51 के दौरान कृषि एवं राजस्व मंत्री के रूप में कार्य किया एवं पंजाब में भूमि सुधार के लिए अनेक कार्य किए। आप 1956-62 के दौरान राज्यसभा के सदस्य,1962-67 के दौरान पंजाब विधानसभा के सदस्य,1955-56 के दौरान PEPSU प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष,1966 में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं 1972 में पंजाब के मुख्यमंत्री के रहे।
आपकी अनेक उपलब्धियों ने भारत का सिर गौरव से सदैव ऊँचा रखा। ज्ञानी जैल सिंह जी को 1972 में पंजाब भूमि सुधार अधिनियम का कानून बनाने, शिक्षा एवं सार्वजनिक रोजगार में मजहबी सिखों एवम् वाल्मीकियों के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने एवं शहीद उधम सिंह के अवशेषों को भारत वापस लाने का श्रेय दिया जाता है।
आप सन् 1980 में लोकसभा सदस्य चुने गए एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा आपको भारत का गृहमंत्री नियुक्त किया गया। 1982 में आप भारत के सातवें राष्ट्रपति के रूप में भारत के प्रथम नागरिक बने। आपके कार्यकाल के शुरुआती वर्षों में ऑपरेशन ब्लू स्टार,श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या एवं 1984 के सिख विरोधी दंगे हुए। तत्पश्चात् जब श्री राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री बने तब श्री राजीव गांधी ने नीति के मामलों पर ज्ञानी जैल सिंह जी से मिलने एवं उन्हें सूचित करने से इनकार कर दिया एवं उनकी विदेश एवं घरेलू यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया जिस कारण ज्ञानी जैल सिंह एवं श्री राजीव गांधी के आपसी संबंध खराब हो गए।
ज्ञानी जैल सिंह जी ने सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए एवं उन्हें भेजे गए प्रस्ताव को सूक्ष्म जाँच के अधीन रखकर पलटवार किया। आपने सन् 1986 में संसद द्वारा पारित भारतीय डाकघर (संशोधन) विधेयक पर पॉकेट वीटो लगाया, बोफोर्स से होवित्जर तोपों की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप,सरकार द्वारा राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह द्वारा माँगे गए दस्तावेजों के प्रस्तुत करने से इनकार करने एवं सरकार को उनकी बहुप्रचारित फटकार के कारण यह माना जाने लगा था कि शायद वे राजीव गांधी की सरकार को बर्खास्त करना चाहते हैं किंतु सन 1987 में अपने कार्यकाल के अंत में ज्ञानी जैल सिंह जी सेवानिवृत हुए। सन् 1994 में एक सड़क दुर्घटना में लगी चोटों के कारण ज्ञानी जैल सिंह जी की मृत्यु हो गई। आपकी समाधि दिल्ली में “एकता स्थल” पर है।
आपकी विद्वता,शालीनता एवं दूरदर्शी सोच से न केवल भारत अपितु समस्त विश्व परीचित है। आपने सदैव भारतवासियों के हित के लिए कार्य किया। 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान आपने कभी अपना संयम नहीं खोया। महामहिम ज्ञानी जैल सिंह जी विशिष्ट व्यक्तित्व के धनी थे। आप सदैव हमारे हृदय एवं स्मृतियों में जीवित रहेंगे।
आपको शत-शत नमन।
ऋतु अग्रवाल,
मेरठ,उत्तर प्रदेश