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मेरी आत्मकथा

मेरी आत्मकथा
लघु कथा :-
संकल्प शक्ति महाशक्ति

राज बचपन से ही होनहार थे । वह ग्यारहवीं कक्षा की पढ़ाई के दिनों की बात है जब उसे पता चला कि उनके माता ही नहीं बल्कि पिताजी भी जीवित है । वह अमीर बाप का बेटा होकर भी अब तक लावारिस की जिंदगी जीते रहा । यह बातें उनके दिलों दिमाग को झकझोकर रख दिया ।
राज अब तक चाय के अतिरिक्त किसी भी नशा को चखा भी न था जो शराब व अन्य नशाओं के चंगुल में फंसकर बेसुध पड़े रहते थे । मात्र 3 वर्ष अंतराल में ही उसे अपेंडिक्स का ऑपरेशन करवाना पड़ा ।
सत्संगी भाइयों ने उसे समझाया ,आत्म जागरण हुआ और वह शांतिकुंज हरिद्वार चले गए । वहां पर वह दो माह रहे ,गुरु दीक्षा (गायत्री मंत्र) वरण किया । उनके मन में चिंतन आया कि मुझे यहां तक किसी भाई ने प्रेरित कर भेजा है तभी आज मैं नशा मुक्त हो पाया हूं ।

घर वापसी के पूर्व दिन वह वहां की समाधि स्थल पर स्वप्रेरित होकर गुरु दक्षिणा संकल्प लिया कि जिस व्यक्ति ने मुझे प्रेरित कर यहां तक भेजा है मैं उनका ऋणी हूं और उनके ऋण से उऋण होने के लिए गांव जाकर पांच व्यक्ति ही नहीं पांच परिवार को साधक परिवार के रूप में बनाने का मैं प्रयास करूंगा तथा नशापान करने वालों को एक नई दिशा दूंगा ।

इस प्रकार वह प्रत्येक दिन पूर्ण निष्ठापूर्वक सायं 6 से 8:00 बजे तक अपने संकल्पों को पूरा करने के लिए जुट गए । लगातार 3 वर्षों के प्रयास से उनका यह संकल्प पूर्ण हुआ जो लोग उनके साथ जुड़े थे वह परिवार आज साधक परिवार बनकर समाज को नई दिशा दे रहे हैं ।

बहुतों ने उनके संपर्क में आकर नशापान करना छू दिया और आज वही राज एक कवि व साहित्यकार बनकर अपनी लेखनी के द्वारा समाज को नई दिशा देने में लगे हुए हैं ।

बसंत कुमार “ऋतुराज”
अभनपुर

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