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पाती प्रियतम की

पाती प्रियतम की

जाओ काले मेघ जाओ प्रियतम के देश,
जाकर के कहना मेरा संदेश

कहना तुम्हारे बिना जी ना लगे,
संग रहूँ सबके पर सूना लगे,
सावन महीना लगे जी में ठेस जा करके……

सूनी सी अँखियों में भाये ना कजरा,
ना होंठों में लाली, ना बालों में गजरा
बिरहन सा लगे पिया मेरा ये वेश जा करके……

रिमझिम फुहारें अँगना में पड़ती,
अंतर में मेरे ज्वाला सी जलती,
सौतन सा लगे पिया अब तो परदेश जा करके…..

संग की सखियाँ गायें कजरी गीत,
झूल रहीं झूला संग झूले मनमीत,
मैं गाऊँ विरह गीत बिखराये केश जा करके….

बादलों का कागज कर बूंदों की स्याही ,
पढ़ लेना पाती ओ मेरे हमराही ,
उड़के जब आये ये तुम्हरे देश जा करके कहना मेरा संदेश

जाओ काले मेघ जाओ प्रियतम के देश, जा करके कहना मेरा संदेश

तरुणा खरे
जबलपुर मध्यप्रदेश

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