मां
मां
मां वो है जो हमे इस दुनिया में लाती
बेटी को मारने वाले जालिमों से बचाती
तुमको चूमती दुलारती सारी खुशियां लुटाती
कोई चाहे जो कहे उसे फर्क नही पड़ता वो तुम्हे सीने से लगाती
रात को जब तुम रोती तो भले कितना थकी हो
उठ कर तुम्हारी नेपकिन बदलती
किचन में जाकर दूध भी लाती
खुद की हिम्मत हो या न हो
तुम्हारे लिए बच्चा बन जाती
हवा में तुम्हे उछालकर तुम्हारी खुशी में खुश हो जाती
कब तुम्हे क्या खाना है क्या दवाई देना ये सब वो ही तो जानती
नही सोती जब तुम रातों को
तो तुम्हे पारियों की कहानी सुनाती
लोरियां सुनाते सुनाते थकान से
ऐसे ही लुढ़क जाती
तुम जब पहली बार चली थी ना
घुट्टन घुट्टान
तो खुशी से मचल गई थी वो
और तुम्हारा पहला दांत कितने दिन तक सम्हाल रखा था
उसको चांदी की डिब्बी में
और उस दिन तो उसकी खुशी
जैसे समा ही नही रही थी
जब तुम पहली बार अपने नन्हे नन्हे कदमों से चलकर गिरते पड़ते उसकी तरफ घूमीं थीं
रोते रोते गले से लगा लिया था तुम्हे और कितने बार माथा चूमी थी।
प्ले स्कूल में तुम्हे भेजते हुए खुशी और गम की मिली जुली खुशी झलका रही थी
कभी तुम्हे इतना बड़ा होते देख हंसती तो कभी दूर जाने के दुख में आंखे छलका रही थी
पहली बार जब तुम क्लास वन का रिपोर्ट कार्ड लेकर आई थी
जैसे वो स्वयं पास हो गई फर्स्ट क्लास ऐसे मुस्कुराई थी
एक बार जब तुम बीमार थीं बुखार के मारे हलाकान थीं
रात रात भर पलंग पे बैठ कर
मां सर की पट्टी बदलती थी
फिर हो गई तुम और सयानी
जूही की कली सी सुवासिनी
हर पल तुम्हारी बलैया लेती
नजर न लगे इसके जतन करती
हरपल ईश्वर से प्रार्थना करती
तुम्हारे लिए व्रत उपवास भी रखती
तेरी छोटी बड़ी उपलब्धियों में
वो भी गौरवान्वित हुई है
तेरे कॉलेज का प्रथम दिन, गेट टुगेदर पहला जौब इन सबमें तेरी मां भी तेरे साथ शामिल हुई है
जब भी आए तेरी आंखों में आंसू वो भी तरफ के रोई है
यदि हुई तुझे तनिक भी तकलीफ
तो वो भी चैन से ना सोई है
आज भी तेरी एक खुशी पर उसकी हर खुशी निसार है
तू मांग के तो देख बिटिया
तुझ पर उसकी जान भी कुर्बान है
मां का दिल बड़ा नाजुक होता
छोटी छोटी बात में ही दुख जाता
गर बच्चा उसका उसे सताता
कोई बद्तमीजी ही कर जाता
पलट के जवाब उसे वो दे दे तो
टूटकर उसका मन बिखर जाता
उसकी आंखे भर आती है वो बच्चों से कुछ नही मांगती है
थोड़ा सा प्यार सम्मान ही चाहती
जिसके सहारे सारी उम्र जी जाती है
एक ही प्रार्थना देश के बच्चो से निशा की मां का ध्यान रखो सदा
जो तुम पर अपना सबकुछ लुटाती उसको मान दो सदा
शुभा शुक्ला निशा
रायपुर छत्तीसगढ़