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माॅऺ के चरणों में स्वर्ग

माॅऺ के चरणों में स्वर्ग

पैर में लगे कांटे की चुभन का, मॉऺ आंसू होती है ।
कोखमें जन्म देने का मॉऺ निःस्वार्थ बलिदान होती है।
जीवन के हरेक लक्ष्य का, संघर्ष हो मॉऺ तुम
अंगुली पकड़ आत्मनिर्भरता का मॉऺ गुरुमंत्र होती
है
मॉऺ  के चरणों में स्वर्ग की अनूभूति होती है।

मॉऺ  को परिभाषित करने के शब्द नहीं होते हैं।
ईश्वर भी मॉऺ  की कोख से जन्म लेते है।
मातृभूमि हो या जननी दोनों का स्वारुप है मॉऺ।
जन्म हो या मृत्यु मॉऺ हृदय तल से याद आती है।
मॉऺ  के चरणों में स्वर्ग की अनूभूति होती है।

ब्रह्मांड सृष्टि के निर्माण का मॉऺ वृत उपासना होती है।
आयुबल आरोग्य वृद्धि का मॉऺ कलश पूजन अर्चन होती है।
सुरक्षा की भक्ति अध्यात्म चिंतन हो मॉऺ तुम।
मेरी आत्मा के मोक्ष का मॉऺ मनोरथ होती है।
मॉऺ  के चरणों में स्वर्ग की अनूभूति होती है।

प्रभु की प्रार्थनाएं जब खत्म होती है।
मॉऺ के आशीर्वाद की दुआएं तब शुरू होती है।
मॉऺ शब्द में संसार का  होता है सार।
मॉऺ का दर्द उनसे पूछो जिनकी मां नहीं होती है।
मॉऺ के चरणों में स्वर्ग की अनूभूति होती है।

खुद गीले में सोती है बच्चों को सूखे में सूलातीहै
खुद भूखी रहती है बच्चों को छप्पन भोग खिलाती है।
बच्चों को ऊंचाई दिलाती है मॉऺ कभी थकती नहीं है।
वृद्धा आश्रम से भी मॉऺ बच्चों का भला सोचती हैं।
मॉऺ के चरणों में स्वर्ग की अनूभूति होती है।

जी एल जैन
जबलपुर मध्यप्रदेश

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