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माँ के चरणो में स्वर्ग

माँ के चरणो में स्वर्ग

मरने के बाद मिलता ये स्वर्ग ।
किस्मत हमारी यहीं धरा पर दिखा स्वर्ग ।
अविरल ममता का उसका झरना ।।
थकती नहीं वो लुटाती वो बस ममता मुझ पर ।
माँ नामक जीव ने न जाने कौन सी पी घुटी होती ।।
मुझ से नहीं होगा कहती नहीं ।
औलाद खातिर बाजी जान की लगा देती ।।
दुनियाँ के सारे रिश्ते एक तरफ माँ तु अकेली काफी ।
माँ के आँचल तले जन्नत ।।
तपती धूप शीतल छाँव तेरी ममता माँ ।
क्षमा दया करुणा तेरा ही तेरा ही आधार ।।
हर रिश्ते में मिलावट देखी ।
कच्चे रंगो की सजावट देखी ।।
लेकिन जब भी अपनी माँ को देखा ।
उसके चहरे कभी थकावट न देखी ।
सीखना तुझसे मुझको माँ धीरज का पाठ ।।
धैर्यता ग़ंभीरता की तु मुरत ।
मंदीर बैठी सजी सजाई दुर्गा की सूरत ।।
तुम माँ तुम सबसे खूबसूरत ।

वर्षा उपाध्याय ,खंडवा.

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