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मेरी मम्मी

मेरी मम्मी

कदर ना थी मुझे तेरी,कि तुझमें जान थी जब तक,
तेरे जाने से जाना है, कितनी नादान थी अब तक।।
कहना था बहुत कुछ तुमसे, पर ना कह सकी मम्मी,
तेरी आवाज़ में ना नाम ,अपना सुन सकी मम्मी।

तेरे माथे की बड़ी बिंदी,वो तेरी आंखों का काजल,
मेरे कानों में बजती है,तेरी चूड़ी तेरी पायल।
लाल,पीली-हरी साड़ी,बड़ा जचती तुम्हें मम्मी,
अपने होठों को पानों से,सदा रचती थी तुम मम्मी।।

तेरे हाथों की वो मेहंदी,वो तेरी मांग का टीका,
नहीं पड़ने दिया मम्मी, कभी तुमने जिसे फीका।
तेरी अंतिम विदाई में तुझे,जब हल्दी लगी मम्मी,
ऐसी लगती थी जैसे आज,दुल्हन बनी मम्मी।।

तेरे पांव में चाची ने,जब महावर लगाया था,
मुझे मंदिर की देवी का,चरण फिर याद आया था।
तुम्हारी देह पर वो लाल चुनरी, जब सजी मम्मी,
क्या लगती थी कि तुम उस दिन, नहीं पहले लगी मम्मी।।

बड़ा लड़ती थी मामा से,भैया साड़ी नहीं लाये,
वो देखो बिन कहे मामा,तुम्हारी साड़ी ले आए।
क्यों रखी है बंद आंखें ,ज़रा जल्दी उठो मम्मी ,
अपने हाथों से मामा को,ज़रा पानी तो दो मम्मी।।

तेरे हाथों की वो बर्फी, वो तेरे हाथ का खाना,
सफेद फीतों से तेरा मम्मी,मेरी चोटी का बनाना।
बहुत लड़ते हैं भैया मुझसे,ज़रा डांटो उन्हें मम्मी, छोटा रखता बड़े नाखून ,ज़रा काटो इन्हें मम्मी।।

छुपके रो लेते हैं पापा,उन्हें जब याद है आती,
वो मुझसे कह नहीं सकते, मैं उनसे कह नहीं पाती।
तुम जैसी भी थी उनका तो, साहस थी तुम मम्मी,
यूं पहले ना कभी देखा,मैंने बेबस उन्हें मम्मी ।।

मेरे पापा ने अपने सातों,वचनों को निभा डाला,
करी थी रात दिन सेवा,अपना सब कुछ लगा डाला।
बहुत टूटे मेरे पापा तुम उनका साथ दो मम्मी, नहीं जाना था ऐसे तुमको छुड़ा के हाथ को मम्मी।। 8) न जाने कौन सा वो दर है ,जहां माथा नहीं टेका,
मैंने कितनी ही रातों को,उन्हें सोते नहीं देखा।
जीत लेंगे विधाता से,उन्हें विश्वास था मम्मी,
चली जाओगी इतनी जल्दी, ना ये एहसास था मम्मी।।

भूल हुई बहुत मुझसे, मुझे तुम माफ कर दो मां,
मुझसे यूं दूर जाने की,नहीं ऐसी सजा दो मां।
दिलों को जीता है मैंने, तेरे ही संस्कार से मम्मी,
मेरे नन्हें से बेटे को भी अपना प्यार दो मम्मी।।

बहुत ही देर कर दी मां,मगर मैं दिल से कहती हूं,
यह मेरा भाग्य है मम्मी, कि हां मैं तेरी बेटी हूं।
माँ तो देती है जीवन भर, पर तुम मरकर भी दो मम्मी,
बनकर मेरी ही बेटी गोद में,खेलो मेरी मम्मी…
बनकर मेरी ही बेटी गोद में,खेलो मेरी मम्मी…
प्रीति नामदेव’भूमिजा’

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