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प्रेम एक साधना

प्रेम एक साधना

प्रेम का विषय अत्यंत कठिन हैंं,
प्रेम को शब्दों में बयां करना
इतना आसान नहीं है।
प्रेम को ऐसे नहीं समझा जा सकता,
प्रेम की परिभाषा उकेरना असंभव हैं।
इसको केवल करके ही
समझा जा सकता है।
प्रेम एक साधना है,
और साधना में साधक को
त्याग करना पड़ता हैं।
प्रेम केवल सजीव से ही नहीं अपितु
यह तो किसी से भी हो सकता हैं।
चाहे वह निर्जीव हो,
चाहे अलौकिक हो।
प्रेम आत्मिक होता है,
प्रेम सात्विक होता है।

ओम प्रकाश लववंशी ‘संगम’
संस्थापक – संगम अकादमी पब्लिकेशन
कोटा – राजस्थान

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