हे राम
हे राम
चारों तरफ शोर बड़ा भारी है
अयोध्या में आए अवध बिहारी हैं
पुलकित सब नर और नारी हैं
प्राण प्रतिष्ठा की हो रही तैयारी है
‘ भगवान राम से मेरा सवाल ‘
हे राम आप कहां गए थे जो आ गए
सारे देश वासियों के मन पर छा गए
क्या कल तक लोग आपको नहीं जानते थे
या आपको अपना ईष्ट नहीं मानते थे
आप तो कण कण में समाए हो
हम सबके ह्रदय अति भाए हो
आप तो मन के मंदिर में बसते हो
संग मेरे रोते और हंसते हो
आपने पशु पक्षियों को गले लगाया था
मानव को मर्यादा का पाठ पढ़ाया था
पर भूल गए अपनी सारी मर्यादाएं
पार कर रहे वो सारी लक्ष्मण रेखाएं
लोग सत्य सनातन की बात करते हैं
पर अपने ही भाई से घात करते हैं
निषाद राज शबरी की आपने न पूछी जात
नाम अपलक लेकर कर रहे जात पात
हे राम ये कैसी आस्था कैसी भक्ति है
जो औरों से लड़ने की दे रही शक्ति है
आपके नाम को भी लोगों ने नहीं छोड़ा
देश को अपने टुकड़ों टुकड़ों में तोड़ा
हे राम अब आप ही बता दो मुझे
बात ये जरा समझा दो मुझे
धर्म के नाम पर कत्लेआम करा दूं
क्या बदनाम मै आपका नाम करा दूं
हे राम मुझे हिंदू मुस्लिम नहीं इंसान बना देना
पाठ इंसानियत का मुझे पढ़ा देना
पा सकूं जिस पर चलकर मैं तुम्हें
हे राम मुझे वो राह दिखा देना
कविता राय
जबलपुर – मध्यप्रदेश