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होली

होली

सकल धरा पर और गगन में, रंगों की फुहार है।
फागुन महिना रंग बसंती, होली का त्यौहार है।।

अमरैया में बौर उगे हैं, डाली पर कोयल बोले हैं।
बजे बाॅंसुरी सुबह शाम अब, मन में मधुरस घोले हैं।।
चले सुगंधित पवन पुरवैया, ये कैसा बयार है।
फागुन महिना रंग……….

पीली सरसों के फूलों से, खेती की शोभित क्यारी है।
लाल- लाल टेशू की खुशबू, मन को लोभित प्यारी है।।
सभी दिशाएँ रंग रंगीला, कण- कण बसंत बहार है।
फागुन महिना रंग…………..

लाली हरित पीले रंग में, सबका तन मन रंग गए।
ढोलक ढोल मंजीरा बाजे, पिचकारी संग भंग भए।।
रंग भंग मदहोश सभी संग, होली गीत गोहार है।
फागुन महिना रंग…… …….

गले मिलो आपस मे भाई, जलाओ सब अपनी बुराई।
प्रेम रंग में सभी नहा लो, माता- पिता बहन और भाई।।
एक बनें सब नेक बनें हम, अति उत्तम व्यवहार है।
फागुन महिना रंग बसंती…………

लक्ष्मण दास वैष्णव
कोरबा – छत्तीसगढ़

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