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घरौंदा ( लघुकथा)

घरौंदा ( लघुकथा) भारत में रह रही मम्मी से मिलने की बात बीबी से करता है रोहित। “मेरी डार्लिंग! मेरी छुट्टी को भी मंजूरी मिल गई है” “हां सुनो, मम्मी के लिए खास शॉपिंग कर लेना,जो उन्हें पसंद है,तुम तो जानती ही हो की मम्मी कितनी चूजी हैं।” “हां रोहित [...]

आदित्य – शिव स्तुति

आदित्य – शिव स्तुति शिव ॐ कार, शिव चंद्रभाल, शिव महादेव, शिव व्याघ्र छाल, शिव महाकाल, शिव नील कंठ, शिव त्रिशूलधर, शिव भो कराल। स्वरूप सुंदर सत्य शिवॐ का, जटा जूट सी घटा सुव्योम की, किरीट शीश सोम चन्द्रभाल का, बहती रहे सुधारधार श्रीगंग की। त्रिनेत्र नेत्र तीसरा ललाटभाल, प्रदीप्त [...]

विश्वरंग, हालैण्ड से साझा संसार, वनमाली सृजनपीठ, नई दिल्ली व प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र का ‘साहित्य का विश्वरंग’ अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा आयोजन अंतरराष्ट्रीय लघुकथा अंक, ऑनलाइन, सम्पन्न हुआ।

विश्वरंग, हालैण्ड से साझा संसार, वनमाली सृजनपीठ, नई दिल्ली व प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र का ‘साहित्य का विश्वरंग’ अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा आयोजन अंतरराष्ट्रीय लघुकथा अंक, ऑनलाइन, सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर विश्वरंग के सह निदेशक लीलाधर मंडलोई ने कहा कि लघुकथाओं के आस्वाद का सुख निराला है। लघुकथा [...]

डा. संजीदा खानम “शाहीन” को मुंशी “प्रेमचंद साहित्य रत्न सम्मान”

डा. संजीदा खानम “शाहीन” को मुंशी “प्रेमचंद साहित्य रत्न सम्मान” …………………….. मुंशी प्रेमचंद की 144 वीं जयंती पर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा(अभाकास) द्वारा जयपुर स्थित इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान के सभागार में तीसरा राष्ट्र स्तरीय मुंशी प्रेमचंद साहित्य रत्न समारोह 2024 आयोजित किया गया। जिसमे जोधपुर की कवयित्री व [...]

लघुकथा: संवेदना शून्य

लघुकथा: संवेदना शून्य “पीयूष! कहाँ जा रहा है तू?” बड़ी बहन पूजा ने पूछा। “टोक दिया न! इस घर में हर कोई मुखिया बनना चाहता है। अब पापा जी नहीं रहे तो पीयूष ही इस घर के मुखिया हैं।”पीयूष की पत्नी दीप्ति बोली। ” हाँ! हाँ! तो मैंने कब कहा [...]

‘तुझे शत-शत नमन है’

‘तुझे शत-शत नमन है’ नमन है! नमन है! तुझे- तुझे शत – शत नमन है! हे चित्रांश गौरव, हे युग श्रेष्ठ – साहित्य की सच्ची पहचान! तुझे नमन है..! निष्पक्ष, निर्भेद, निर्विवाद- स+ हित को समेटे – दलित, किसान, सर्वहारा महिला, अछूत, सर्व वर्गों की पीड़ाओं को लपेटे- सृजा तुमने [...]

( प्रेमचंद जयंती विशेष ) मुंशी प्रेमचंद की प्रासंगिकता

( प्रेमचंद जयंती विशेष ) मुंशी प्रेमचंद की प्रासंगिकता प्रेमचंद (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936). हिंदी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक थे। उनका मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचन्द के नाम से भी जाना जाता है। उपन्यास [...]

मुंशी प्रेमचंद जी

मुंशी प्रेमचंद जी “प्रेमचंद जी की कलम से निकले शब्द, साहित्य की दुनिया में अमर हो गए। ग्रामीण जीवन की सच्चाई को उन्होंने दिखाया, और समाज की बुराईयों पर प्रकाश डाला。 उनकी कहानियों में जीवन की सच्चाई है, और उनके शब्दों में दिल की आवाज है। प्रेमचंद जी का साहित्य [...]

यही कहानी

  यही कहानी हंसा बहुत पर सुख न जानी, जीवन की बस यही कहानी। प्यार बांटकर घृणा पाया, नेकी करके चोटें खाया, दोष यही कि हूं स्वाभिमानी, जीवन की बस यही कहानी। हंस हंसकर हर पीड़ा सहा, लेकिन कभी उफ न कहा, परिस्थितियों से हार न मानी, जीवन की बस [...]

कहानी विद्यालय का भूत

कहानी विद्यालय का भूत बात उस समय की है ,जब विद्यालय खुलने के समय से काफी देर बाद चहकते हुए बच्चे बरसात की रिमझिम बूंद के साथ स्कूल में प्रवेश कर रहे थे! सामने बैठे गुरुजी बालकों का इंतजार करते हुए खुशी से बोले ,”अरे बच्चों इतनी देर में क्यों [...]