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यही कहानी

 

यही कहानी

हंसा बहुत पर
सुख न जानी,
जीवन की बस
यही कहानी।

प्यार बांटकर
घृणा पाया,
नेकी करके
चोटें खाया,
दोष यही कि
हूं स्वाभिमानी,
जीवन की बस
यही कहानी।

हंस हंसकर
हर पीड़ा सहा,
लेकिन कभी
उफ न कहा,
परिस्थितियों से
हार न मानी,
जीवन की बस
यही कहानी।

जिसको भी मैं
चाहा मन से,
पल्ला झाड़ा
अपनेपन से,
देनी पड़ी
अनगिन कुर्बानी,
जीवन की बस
यही कहानी।

चुनौती भरा
हर क्षण मेरा,
पग पग पर
दुर्भाग्य खड़ा,
पर करता वही
जो मन में ठानी,
जीवन की बस
यही कहानी।।

अनिल सिंह बच्चू

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