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वर्तमान समय में भारतीय ज्ञान परंपरा की उपादेयता

वर्तमान समय में भारतीय ज्ञान परंपरा की उपादेयता
लखनऊ, भाषा विभाग उत्तर प्रदेश के नियंत्रण आधीन भाषा संस्थान द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में वर्तमान समय में पारंपरिक ज्ञान की उपादेयता विषय पर वृहद संगोष्ठी का आयोजन किया गया,जिसकी अध्यक्षता प्राचार्य रमेश चंद्र वर्मा ने किया ।
मुख्य अतिथि प्रो.विष्णु गिरि गोस्वामी पूर्व प्रोफेसर लखनऊ विश्वविद्यालय विधि संकाय रहे।
विशिष्ट अतिथि प्रो.रश्मि श्रीवास्तव रही। संगोष्ठी का कुशल संचालन डॉक्टर रश्मि शील ने किया ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो.विष्णु गोस्वामी ने कहा कि प्राचीन समय भारतीय ज्ञान परंपरा में संस्कारों की खेती होती थी। व्यावहारिक शिक्षा दी जाती थी। आज के परवेश में सुधार की आवश्यकता है। जीवन मूल्यों का अनुपालन किया जाना आवश्यक है।
विशिष्ट अतिथि प्रो.रश्मि श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित शैक्षिक प्रावधान बड़े ही प्रासंगिक हो रहे हैं। आज हमारी शिक्षा सैद्धांतिक है व्यवहार नगण्य है। शिक्षा में व्यावहारिक पक्ष समाहित करने होंगे। श्रवण मनन विधि का पारंपरिक व्यवहार की आज भी जरूरत है।
डॉक्टर सुरंगमा यादव ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह वैज्ञानिक और व्यावहारिक चिंतन पर आधारित है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य रमेश चंद्र वर्मा ने कहा कि
नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे की ओर ले जाने विंदु समाहित है। इसलिए भारतीय ज्ञान परंपरा को समुन्नत करने की जरूरत है
डॉक्टर रीता अग्निहोत्री द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के उपरांत कार्यक्रम समापन की घोषणा की गई।

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