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आज फिर मेरी कलम रो पड़ी

आज फिर मेरी कलम रो पड़ी

आज मेरी कलम फिर से इंसाफ के लिए रो पड़ी और जब तक बहन बेटियों पर अत्याचार होगा तब तक रोती रहेगी और डायरी मे लिखेंगी और इंसाफ मांगेगी।

कुछ दिनों पहले कुछ दरिंदों ने मिल कर उस बहन का बलात्कार ( रेप) किया और उस बेटी को जीते जी मार डाला हम और हमारे देश की सरकारें और कानून चुप है।

माँ काश मै उस दिन घर से नही जाती तो मेरा बलात्कार नही होता तो शायद मै तुम्हें फिर से देख पाती तेरी आवाज सुनने को कान तरस रहे है माँ देखो न ये लोग मुझे जानवरों की तरह लोच रहे हैं कब तक यह हमारे साथ यह सब कुछ चलता रहेगा। कब हमें चैन से जीने की आजादी मिलेगी कब लड़कियों पर अत्याचार बंद होगा माँ टिफिन में दी हुई तुम्हारी रोटी खाई भी नही थी आज वो लोगो ने मेरा जिस्म चिथ कर अपनी भूख मिटा रहे हैं देखो न माँ ये लोग मेरा बलात्कार कर रहे है माँ मेरे जाने के बाद तुम अपना होंसला मत खोना और मेरे जाने के बाद सब एक जुट हो कर मुझे इंसाफ दिलवाना और उन अत्याचारीयो को फांसी के फंदे तक पहुँचाना मेरा जो सपना था वह अगले जन्म मे पूरा करूँगी माँ आखिर इंसान अपनी इंसानियत क्यू भूल गया जो उन लोगो ने मेरे साथ किया उन्हे कोई बात का गम नही है अगर मेरी जगह उनकी माँ,बहन,बेटी होती तो उनके साथ भी यही काम करते क्या वह लोग आखिर कब तक चलेगा यह सब कुछ हम बेटियों को यूँ ही घुट घुट कर जीना होगा कभी बलात्कार तो कभी दहेज के लिए जला कर मार डालते है तो कभी बेटी होने पर कोख मे ही मार देते हैं घर मे बेटीयों को लक्ष्मी,दुर्गा,काली सब कुछ मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं और उन्हीं के साथ ऐसा घिनोना कृत करते हैं आखिर कब तक सहना पड़ेगा हमे अब हम बेटियों को कब इंसाफ मिलेगा माँ मै तो डॉक्टर बन कर लोगो की ज़िंदगी बचाती थी और उन दरिंदों ने मुझसे मेरी जिंदगी छिन ली आखिर मैने किसी का क्या बिगाड़ी थी जो उन्होंने मेरे साथ ऐसा किया मुझे ऐसी सजा दी बताओ न माँ तुम चुप क्यूँ हो जब यह सब कुछ हम लोगो के साथ होता है तो हमे कितनी तकलीफ होती हैं हमें मालूम है
भारत देश तो आजाद हो गया माँ लेकिन हम और हमारी इंसानियत आजाद नही हुई जहाँ आज भी पुराने जमाने के लोग है पुरानी परम्परा है और बेटियों पर अत्याचार होता है
और सब मुंह बंद करके बैठे रहते हैं कब तक चलेगा ये माँ सवाल तो बहुत है मन में लेकिन बता कर भी क्या मतलब मेरे जाने के बाद पापा से कहना की मुझे इंसाफ जरुर दिलवाए और मेरे लिए आँसू न बहाये मेरी फोटो के सामने एक छोटा सा दिया जलाए और एक गुलाब का फूल जरूर रख देना मै अगले जन्म मे फिर से अपने सपने पूरे करूँगी माँ चिंता मत करना मै दोबारा फिर से तेरी कोख से जन्म लूंगी और फिर से तेरी बेटी बनूँगी मै जा,रही हूँ माँ अपना और सभी का ध्यान रखना और मेरे लिए रोना मत माँ अपने आप को संभाल लेना भगवान के पास जाने के बाद मुझे तेरी और सभी की बहुत याद आएगी मै जा रही हूँ माँ मै जा रही हूँ

अंतरराष्ट्रीय
हास्य कवि व्यंग्यकार
अमन रंगेला “अमन” सनातनी
सावनेर नागपुर महाराष्ट्र
9579991969

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