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नन्द के घर आनन्द भयो – जय कन्हैया लाल की

नन्द के घर आनन्द भयो – जय कन्हैया लाल की

दुष्टों का संहार__संतजन की रक्षा करने का पर्याय हैं__भगवान श्री कृष्ण

बक्सर, २५/अगस्त/२०२४,
सृष्टि के नियन्ता,सभी के भाग्य विधाता, विश्व के प्रतिपालक,सभी के भरण__पोषण कर्ता,मानवता के रक्षक_दुष्टों केभक्षक.
महाभारत के नायक, गीता के गायक, सनातन धर्म के रक्षक, अधर्मियों के संहारक,सत्य के लिए प्रतिबद्ध, असत्य के लिए आब्द्ध, .
कंस ने अपनी बहन देवकी का विवाह बडे ही भाव से श्री वासुदेव जी महाराज के साथ करके विदाई के लिए ज्यों ही तत्पर हुआ, त्योंही आकाश वाणी ,अरे कंस जिस उत्साह और उमंग से अपनी बहन को बिदा कर रहे हो, इसी वसुदेव__देवकी का आठवां पुत्र तुम्हारे वध का कारण बनेगा, इतना सुनते ही कंस आग_बबूला हो गया फिर वह न तो आव देखा और ना ही ताव देखा और तत्पर हो गया तलवार निकाल कर दोनों का वध करने के लिए, बहुत समझाने के बाद कि हम अपने सभी संतानों को आपके पास सौंप देगें ,यह आश्वसन पाने के बाद देवकी और वासुदेव कंस के कारागार में भयकंर पहरेदारी में डाल दिये गये.
समयानुसार एक_एक करके सभी अपनी संतानों को कंस को सौंपते रहे. परन्तु आठवीं संतान का अवतार, यानि धर्म के रक्षक भगवान श्रीकृष्ण जी का प्राकट्य भादो के महीने के अर्ध रात्रि को रोहिणी नक्षत्र में बुधवार के दिन हुआ, और अप्रत्याशित रुप से भगवान के चमत्कार से सभी पहरेदार बेहोशी के आलम में हो गये और फिर आकाशवाणी हुई, वासुदेव जी आप तत्काल इस बालक को लेकर महाराज नन्द जी के यहां नन्द गांव जाइकर इस बालक को वहां पहुंचा कर वहां से योगमाया के रूप में अवतरित कन्या को लेकर तुरत जाकर यहां लेकर आ जाइये.
ऐसा ही हुआ, कंस को खबर हुई, और वह योगमाया कंस के हाथ से अंतर्धान को कह पडी तुम्हारा काल जन्म ले चुका है.
नन्द गांव में नन्द जी के यहां पुत्र रत्न की प्राप्ति की खबर सुनकर पूरे नन्द गांव में उत्साह का माहौल छा गया. नन्द महाराज के घर की तरफ सभी गांव वाले चल पडे, खुशियों का अम्बार छा गया.
नन्द के घर आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की__की शोर से सारा नन्दगांव उल्लास मय वातावरण में डूब गया. खुशियों का अम्बार छा गया. मानो साक्षात भगवान का आवतरण हो गया.
भगवान श्रीकृष्ण का पावन अवतार द्वापर युग मेंअधर्म का नाशकर धर्म की स्थापना करना ही ,भगवान श्रीकृष्ण का उद्देश्य था.
भगवान के जन्म कुछ दिन बादसे ही कंस को पता लगने पर बालक भगवान श्रीकृष्ण को खत्म करने की योजना कंस बनाने लगा.
अपनी कुत्सित योजना को पूर्ण करने के लिए___सबसे पहले पूतना से सम्पर्क करके उस बालक को मारने की योजना बनाई, पूतना ने अपने स्तन पर भयानक विष का लेप लगाकर सुन्दर स्त्री के वेश में महाराज नन्द जी घर पहुंच कर औरतों में हिलमिल कर मौका देखकर बालक श्रीकृष्ण को लेकर आकाश मार्ग से ले उडी, भगवान श्रीकृष्ण ने मातृ भाव से आयी पूतना को मृत करके माता के रूप में उसे अपने धाम पहुंचा दिये.
इसी तरह अनेक राक्षस__वाणासुर, ताडकासुर आदि का संहार करते, अपनी मोहक बाल लीला द्वारा सभी आनन्ददेते हुए भगवान श्रीकृष्ण माखन चोरी लीला सहित अनेक कारनामा किये. कालिया मर्दन, गोवर्धन पर्वत उठाना, ओखलबंधे होकर यमलार्जुन का उद्धार करने सहित अनेक लौकिक एवं अलौकिक कार्यों अंजाम देते हुए, अपने अवतार के उद्देश को अंजाम देने के लिए मथुरा गये, वहां कुश्ती चाणुर का वध किये, मदमस्त हाथी का संहार करके, कंस का वध करके पूरी प्रजा के संताप को मिटाये. राजा को बंधन मुक्त कर अपने माता__पिता को मुक्त कराये.
हम सभी इस एक बात पर जरूर विचार करे कि___जन्म से लेकर किशोरावस्था किस तरह भगवान श्रीकृष्ण अनेक झंझावातों को सहकर देश के लिए, समाज के लिए, परिवार के लिए आसुरी शक्तियों से लोहा लेते रहे, भगवान श्रीकृष्ण जी हमें यह संदेश दिये हर परिस्थितियों में हम सभी को अपने कर्म के लिए सतर्क रहना होगा ,अपने___स्तर से.
भगवान श्रीकृष्ण जी के बाल रूप का बहुत ही सुन्दर एवं मनोहारी वर्णन संत सूरदास जी अपनी रचनाओं में कियें हैं_____
मैया कबहूं बढेगी चोटी……
मैया मैं नहीं माखन खायो……
यह ले अपनी लकुटी. कमरिया…..
सहित अनेक मनोहारी पद रचे हैं______सूरदास सी….

द्वारकाधीश के राजा बनने पश्चात शेष रह गया धर्म की स्थापना का कार्य______महाभारत के माध्यम से_____ अब वक्त आगया था___श्रीगीता जी को स्थापित करने का…..धृतराष्ट्र, दुर्योधन, शकुनि द्वारा छल से छीनी गई सम्पत्ति कोपाने के लिए ..
.. भगवान श्रीकृष्ण जी केवल पांच गांव की मांग किये थे, पांडवों के लिए, तिसपर भी दुर्योधन तैयार नहीं हुआ. नींव पड गया….महाभारत का.
कुरुक्षेत्र के मैदान में मोह से मोहित अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण जी ने एकादशी को , रविवार के दिन सम्भवत:___दो घंटे में श्रीगीता जी केअठारह अध्धयाय सुनाकर भगवान श्रीकृष्ण जी ने अधर्म का अंत कराकर धर्म की स्थापना कराकर अपना कार्य सम्पन्न कर भगवान श्रीकृष्ण जी महाराज इस घराधाम से अपने लोक वैकुंठ धाम चले गये.
मगर आज भी भगवान श्रीकृष्ण जी बात उनके द्वारा गायी श्री गीता जी की बातें आज भी हम सभी को ज्ञान की,भक्ति की और कर्म की बातों की ओर ले जाने के लिए एक बहुत ही महत्तवपूर्ण है, अगर हम सभी भगवान श्रीकृष्ण जी की बातों का अमल करें तो हमारा और हमारे देश को दशा और दिशा हमेशा___हमेशा मिलता रहेगा…..
जय श्रीकृष्ण…… जय श्रीकृष्ण….

भोजपुरी दुलार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा, भारत …के सलाहकार…
डॉ ०ओमप्रकाश केसरी पवननन्दन‌, साहित्यकार,, समाजसेवी
बक्सर,_

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