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हे राम जी बड़ा दु:ख दीना,

गुरु चरणों की धूल

हे राम जी बड़ा दु:ख दीना,

स्थाई-
हे स्याम जी मोड़ मुख दीना,
मेरे मोहन ने मुख मोड़ दीना।
अद्भुत चतुराई मुझे विरहन बनाई,
मोहन ने छोड़ मुझे दीना,मुख मोड़ दीना।।
मेरे मोहन ने मुख मोड़ दीना।।
हे श्याम जी मोड़ मुख दीना—–

अन्तरा-१
वो मोहक है मैं होती हूॅं।।२
वो बजाता है मैं नच्ती हूॅं।।
उड़ान
हे मुरारे ख़बर नही होती सबर,
तुझे नसर पड़ेगा कीना।
मुख मोड़ दीना,
मेरे मोहन ने मुख मोड़ दीना।।
हो स्याम जी, मोड़ मुख दीना।।२
अन्तरा-२
मेरी सखियां मेरे दु:ख ने।२
दे गया सचमुच पदार्थ जलने।।
उड़ान
मेरी बांह मरोड़ी माखन मटकी फोड़ी,
बलिए ने निश्छल कीना।।
मुख मोड़ दीना,मेरे मोहन ने मुख
मोड़ दीना।।
हो स्याम जी, मोड़ मुख दीना,—————
अन्तरा -३
रा गा रे सा,रा गा मा पा,
गा मा पा,पा मा गा,
रॅंगी राही ज्ञान गुण सागर।।२
कनक झनक सुहाई।।
उड़ान
रवि हंगामा जैसा ग स्वर्तानी कैसा,
अज्ञानी अज्ञान ये विहीना।।
मुख मोड़ दीना,
मेरे मोहन ने मुख मोड़ दीना।
हे स्याम जी मोड़ मुख दीना।।

जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
पठौरिया झाॅंसी

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