हनुमान जन्मोत्सव पर हिन्दी साहित्य भारती द्वारा भव्य काव्य गोष्ठी एवं पुस्तक विमोचन
हनुमान जन्मोत्सव पर हिन्दी साहित्य भारती द्वारा भव्य काव्य गोष्ठी एवं पुस्तक विमोचन
एटा, ब्रज प्रान्त। हनुमान जन्मोत्सव के पावन अवसर पर हिन्दी साहित्य भारती ब्रज प्रान्त, एटा इकाई द्वारा एक भव्य काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ओजस्वी कवि श्री बलराम सरस ने की, जबकि संचालन का दायित्व डॉ सुधीर पालीवाल ने कुशलता से निभाया। डॉ दिनेश वशिष्ठ (गुजरात) इस अवसर के मुख्य अतिथि रहे।
सरस्वती पूजन एवं ध्येय गीत के पश्चात कार्यक्रम की शुरुआत डॉ ओम ऋषि भारद्वाज द्वारा संस्था के उद्देश्यों एवं हिन्दी को विश्व भाषा बनाने के संकल्प की पुनः पुष्टि के साथ हुई। इस अवसर पर उनकी बहुचर्चित पुस्तक “Stress Management” का विमोचन भी हुआ, जिसके सह-लेखक डॉ भावना कुमारी, श्री ललित कुलश्रेष्ठ एवं श्री कृष्ण कांत पाण्डेय हैं। इस पुस्तक का प्रकाशन आर बी झा पब्लिकेशन बिहार से पल्लवी झा जी ने किया है।
डॉ भावना कुमारी ने विमोचित पुस्तक के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला, वहीं डॉ ओम ऋषि भारद्वाज की बेटियों पर भावनात्मक कविता ” होठों की प्यारी मुस्कान हैं बेटियाँ” ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। डॉ दिनेश वशिष्ठ ने हास्य-व्यंग्य से भरपूर रचनाओं से वातावरण को प्रफुल्लित कर दिया। अपने परिचय में उन्होंने कहा कि जिस्म पर मैं काव्य के परिधान रखता हूँ। हास्य में लिखता हूँ कड़वी सच्चाई, इसलिए अपनी अलग पहचान रखता हूँ।। आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा,” आज भी हम मरते हैं तुम्हारी मेंहदी की अदा पर, जो हथेलियों से छिटक कर बालों पै आ गई है।। पत्नी पर हास्य व्यंग्य की कविता पर श्रोता हँसी रोक नहीं पाए जब आपने पत्नी आरती सुनाई _ हे सुख हरनी, दंगा करनी, बच्चों की महतारी।
कविवर बलराम सरस ने गाँव की बोली में मल्हार ,”कि अरे मेरी बहना, अखियन की भीगी कोर से, देखन मैं आई बाप को” सुनाकर लोकसंस्कृति की खुशबू बिखेरी, जबकि कृष्ण मुरारी ने ‘आपबीती’ कविता के माध्यम से ,” आज के ज़माने में हर सख्श, फरेबी और मतलबी है” सुनाकर, मानवता का सशक्त संदेश दिया।
कार्यक्रम में मयंक तिवारी, सुभाष पाण्डेय, विमल कुमार शर्मा, प्रेम सिंह, उमेश कुमार मिश्रा एवं प्रदीप कुमार पाल ने हनुमान जन्मोत्सव के महत्व पर विचार रखे। श्रीमती उज्ज्वल सहाय इस आयोजन की संयोजिका रहीं। समस्त श्रोताओं ने इस साहित्यिक आयोजन की सराहना करते हुए हिन्दी साहित्य भारती के प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। कार्यक्रम का विराम कल्याण मंत्र के साथ हुआ तथा कृष भारद्वाज ने समस्त विद्वतजनों के प्रति आभार और धन्यवाद ज्ञापित किया।