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गीत है ये…

गीत है ये…

गीत है ये तेरा, गीत है ये मेरा!
जो सुहानी ग़ज़ल वक्त लिखता गया!
खुल के हमने न गाया तो क्या फायदा!
गीत है ये तेरा…….
जिंदगी रोज़ तूफां में चलती रही!
कोई कश्ती नहीं कोई साथी नहीं!
जो किनारा न पाया तो क्या फायदा !
गीत है ये तेरा……..
आज़ ही है यहां कल न आए कभी!
जी ले,जी ले ज़रा खुशनुमा ज़िन्दगी!
दिल न समझे तेरा ये तो क्या फ़ायदा!
गीत है ये तेरा………
गम की रातों में भी हमको जीना यहां!
कुछ नहीं दूर तक अब है जाना कहां!
डर ने जी भर सताया तो क्या फ़ायदा!
गीत है ये तेरा…….
आग जंगल में है यूं न समझो कभी!
बस्ती बस्ती से जंगल की सरहद मिली!
सांसों को ना बचाया तो क्या फ़ायदा!
गीत है ये तेरा…….
शोर है यूं मचा उसने आवाज दी!
कुछ रही बात थी कुछ रही अनकही
मैं समझ ही न पाया तो क्या फ़ायदा !
गीत है ये तेरा…….
घर बनाता गया रेत के ढेर में!
कुछ अशर्फी लिए हेर में फेर में!
रुख़ हवा का न समझा तो क्या फ़ायदा!
गीत है ये तेरा………
खो गया गीत मेरा ही मुझमें कहीं!
लाख बातें थीं करनी कही अनकही!
खुद को खुद में न पाया तो क्या फ़ायदा!
गीत है ये तेरा, गीत है ये मेरा!
जो सुहानी ग़ज़ल वक्त लिखता गया!
खुल के हमने ना गाया तो क्या फ़ायदा!

जगदीश चन्द्र जोशी

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