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पवित्र श्रावण-शिव उपासना

पवित्र श्रावण-शिव उपासना

सावन का मधु मास आ गया,
शिव जी का उपवास आ गया।
शिव की महिमा शिव ही जाने,
शास्त्र रचित शिव तत्व को जाने।

इस सृष्टि के सृजनहार शिव,
इस सृष्टि के पालक हैं शिव।
सृष्टी के संहारक हैं शिव,
भोलेनाथ प्रतिपालक हैं शिव।

श्रद्धाभक्ति का श्रावण शिव है,
आत्म तत्व का पूजन शिव है।
शिव ही तत्व है, शिव ही ब्रह्म है,
शिव परमेश्वर, शिव ही सत्य है।

अध्यात्म की महिमा में शिव है,
जगत चराचार में भी शिव है।
जीव – जन्तु की आत्मा शिव है,
आत्मा और जीवात्मा शिव है।

पार्वती हैं बुद्धि की देवी शिव,
विवेक के दाता श्री गणेश शिव।
रिद्धि- सिद्धि लक्ष्मी स्वरूप शिव,
श्री कार्तिकेय का शौर्य रूप शिव।

शिवत्रिनेत्र में सूर्य, चंद्र शिव,
जिस त्रिनेत्र के अग्निदेव शिव।
प्रकाश ऊष्मा सूर्य देव शिव,
शीतलता दें चंद्र देव शिव।

श्रवण नक्षत्र में यह संक्रान्ति,
शिव श्रावण की यह संक्रांति।
शिव शंकर की मन भावन है,
शिव श्रावण में यही सुहावन है।

आषाढ़ के सूरज की गर्मी जब,
जग में धीरे धीरे कम हो जाती।
श्रावण का मधु मास है आता,
और श्रावण में वर्षा ऋतु आती।

मृत प्राय सब जीवन जगता,
प्रकृति में हरियाली छाती।
नव संचार श्रावण में आता,
नई उमंग जीवन में आती।

अनुशासन में अति कठोर शिव,
अनुशासित से हों प्रसन्न शिव।
जीवन-आनंद सदा देते शिव,
श्रावण के आराध्य सदा शिव।

प्रेरणा दायक साम्ब सदा शिव,
प्रकृति के पालक हैं भोले शिव।
शिव परिवार व शिव स्वरूप में,
तीनो लोक समाए सदा शिव।

सांसारिकता को त्याग सदाशिव,
एकांत वास में ध्यान करें शिव।
भौतिक साधन त्याग सदाशिव,
जप तप रमते साकार सदशिव।

भक़्ति भाव आधीन हैं शंकर,
भक्तों के खुद भक्त हैं शंकर।
बाघम्बर ओढ़ें त्रिशूल धर,
जटा में गंग सम्भाले शंकर।

वृषारूढ़ भोले शिव शंकर,
ॐ कार जप करते शंकर।
अर्धनारीश्वर भी शिवशंकर,
राम नाम जपते शिव शंकर।

सदा सामंजस्य बिठाते शिव हैं,
प्रेम की राह दिखाते शिव हैं।
नन्दीगण शिव जी के वाहन,
सिंह शिवप्रिया माँ के वाहन।

नाग गले में शिव के रहते,
श्री गणेश के मूषक वाहन।
संग सदा सब शिव के रहते,
है मयूर कार्तिकेय का वाहन।

शिव परिवार की महिमा अद्भुत,
साम्ब सदा शिव हैं परमेश्वर।
चन्द्रमौलि, श्री नीलकंठेश्वर,
ओंकारेश्वर श्रीजनकल्यानेश्वर।

शिव सोमनाथ, शिव केदारनाथ,
काशी विश्वनाथ, शिव बैजनाथ।
त्रयम्बकेश्वर शिव, नागेश्वर शिव,
मल्लिकार्जुन शिव, रामेश्वरम शिव।

घुषणेश्वर शिव, महाकालेश्वर शिव,
शिव ओंकारेश्वर, भीमाशंकर शिव।
बारह ज्योतिर्लिंग शिव के स्थापित,
कल्यानेश्वर, मनकामेश्वर शिव।

अमरनाथ शिव, बुद्धेश्वर शिव,
भौंरेश्वर शिव, जगतनाथ शिव।
गढ़मुक्तेश्वर शिव, हरिद्वार शिव,
दक्षिणेश्वर शिव, ईशाननाथ शिव।

श्रावण में रुद्राभिषेक कर,
शिव जी का शृंगार करें हम।
भक्ति भाव से पूजन करके,
सोमवार का वृत रखें हम।

शिव की कृपा बरसे हम सब पर,
‘आदित्य’ कहें जोड़ दोऊ कर।
शिव की महिमा शिव ही जाने,
शिव ही सत्य हैं, शिव ही सुंदर।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ

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