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दीपावली -बाल पंचपदियांँ

दीपावली -बाल पंचपदियांँ

आओ आओ दिवाली मनाएँ
आओ हम भी दीप जलाएँ
सब मिलकर खुशी मनाएँ
घर, गली आँगन सजाएँ
आओ दीप माला जलाएँ गोघालों

स्वच्छ साफ-सुथरा का पर्व
दीपों का परम पावन पर्व
लक्ष्मी की पूजा करने का पर्व
ढेर सारी खुशियों का पर्व
दीवाली सुख समृद्ध का पर्व गोपाल।

श्री हरि की पत्नी लक्ष्मी
वैकुंठ निवासी श्री लक्ष्मी
धन की देवी है धनलक्ष्मी
कष्टों से बचानेवाली वरलक्ष्यी
लक्ष्मी की पूजा की जाती गोपाल !

अनेक कथाएँ जुड़े हुए हैं।
जैन महावीर का निर्वाण है।
श्रीराम अयोध्या लौट आए हैं।
नरकासुर का अंत हुआ है।
ये सब दिवाली की कथाएँ गोपाल !

किसानों की मुस्कानों से
घर घर में नये फसलों से
धन-दौलत घर आने से
बंधूजनों के उल्लासों से
दीपलक्ष्मी प्रवेश करती गोपाल।

घर आँगन भरे रंगवल्ली
आईखुशियों का रंगोली
गन आनंद से पुलकावली
सभी के घरों में खुशहाली
जीवन एक आनंद दीवाली गोपाल।

अंदर का तमस दूर करेगा
बाहर का अंधकार मिटेगा
चारों और प्रकाश फैलेगा
दीपावाली एकता बढ़ाएगी
प्रकाश का पर्व दीपावली गोपाल ।

सभी लोग प्रातः उठते हैं।
शुभ मंगल स्नान करते हैं।
नए-नए बरत्र पहनते हैं।
पकवान बनाकर खाते हैं।
बच्चे खुशी से झूम उठते गोपालां

बच्चे पटाखे जलाते हैं।
आतिशबाजी भी होती हैं।
श्रीलक्ष्मी की पूजा होती है।
घर-द्वार पर दीप जलाते हैं।
दीपों का पावन पर्व दीवाली गोपाल।

पोरंकी नागराजु

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