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आओ मिलकर दीप जलायें…

आओ मिलकर दीप जलायें…

दीपावली आनंद उमंग उत्साह के साथ साथ रोशनी का पर्व है।जब अंधकार रूपी रावण का हनन कर और जय विजय का प्रकाश फैलाकर श्रीराम अयोध्या लौटे तो जनता जनार्दन ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया ।दीपक अंधेरों पर उजाले की विजय की यात्रा का पर्व है।
पवन उसको मजबूर करता है,
सपने सलोने चूर करता है,
फिर भी तेल बाती में जीकर
दीपक अंधेरा दूर करता है।
हम आपको भी रोशनी की इस अनवरत यात्रा में सम्पूर्ण निष्ठा ईमानदारी और समर्पण से दीपक बनना होगा। क्योंकि दीपक हमेशा अमरता देता है ।
अंधेरों में उजालो में लड़ाई जारी है,
देखना है कौन किस पर भारी है,
फर्क है तो दोनो में इतना ही बस,
दीपक तो अमरता का पुजारी है।
आज बेहद जरूरी है कि राग द्वेष और प्रदूषण रूपी कचरे को साफ कर हर आंगन में स्वच्छता और रोशनी का प्रकाश हो। हर दिल में सुचिता पवित्रता हो। पर दुख इस बात पर है कि लोग अंधियारों के सर्मथन में प्रकाश और दीपक पर भी उंगली उठाते हैं।जबकि दीपक इन सबसे ऊपर है ।
आइये हम सब मिलकर छल फरेब घृणा नफरत स्वार्थ के तिमिर को गुड वाय करें और सेवा सहयोग सदभाव प्रेम भाईचारा और शांति आनंद के दीप जलायें।और हां दीपक स्वदेशी माटी के ही जलायें क्योंकि माटी हमारी जमीर है।माटी हमारी चेतना है संस्कृति है और अविरल अदम्य सुरभित प्रकाश है ।
खरीदें दीप माटी के तो रज का मान बढ़ जाये,
स्वदेशी की धरा धारा और सम्मान बढ़ जाये,
जलायें दीप खुशियों के दुखों की राह पर मिलकर,
मिले जब रोशनी जीभर वतन की शान बढ़ जाये ।
यह दीपपर्व आपके जीवन में खुशियां लाये।आपके जीवन में यश वैभव प्रगति और समृद्धि का नूतन नवल धवल प्रकाश फैलाये,कुछ इस तरह से..
नित प्रगति की राह पर विज्ञान रोशन हो,
आपका भी ख्वाब और अरमान रोशन हो,
ओ पुजारी दीप दीवाली और वतन के,
जलाओ दीप ऐसे कि हिन्दुस्तान रोशन हो ।
और हां उन दीपों को भी याद रखना होगा जिन्होंने भारत माता को अपनी आहुति दी और अंतिम सांसों तक रोशनी देते रहे।उनकी स्मृतियों का दीप आप जरूर जलाना। मैं भी उनकी स्मृतियों के पैगाम कुछ इस तरह से लिखता रहूंगा..
उजला उजला कर्मयोग निष्काम लिख देना,
भारत माता के रग रग में राम लिख देना,
हमको सदा रोशनी देने जो हरदम जलते हैं,
देशभक्त उन दीपों का पैगाम लिख देना ।
दीप पर्व दीपावली की आप सभी को बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं।

अशोक त्रिपाठी
अ.भा.ओज हास्य कवि नरसिंहपुर
म.प्र.

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