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अमेरिका में घर की खेती: भारतीय संस्कृति की किचन गार्डन

अमेरिका में घर की खेती: भारतीय संस्कृति की किचन गार्डन
ऊपर के चित्र में कुछ सब्ज़ियाँ – खीरे, भिंडी, बैंगन व बींस दिख रही हैं। आप लोग सोंच रहे होंगे कि लखनऊ की किसी सब्ज़ी मंडी से कोई लाया होगा, लेकिन नहीं।
यह किसी समाचार पत्र का कोई ख़ास समाचार भी नहीं होना चाहिये, लेकिन यह समाचार देना तो बनता है।

लगभग पाँच सप्ताह अपने प्रिय घर “आदित्यायन” सैनिक नगर, लखनऊ में बिताकर मेरे पुत्र – अनुपम मिश्र व पुत्रबधू – दिव्या मिश्रा और उन दोनो के दो छोटे बच्चे – टिया व ईशान कल भारतीय समय के अनुसार लगभग दस बजे सुबह यूनियन सिटी, कैलिफ़ोर्न्या, अमेरिका स्थित अपने निवास पर पहुँचे तो वहाँ रात के साढ़े नौ बजे थे। घर में पहुँचते ही सभी दो दिन की यात्रा के थके थोड़ा कुछ खा- पीकर सो गये।
अगले दिन सो कर उठने के बाद अपने घर का आगे से पीछे तक जायज़ा लिया जो छः हज़ार वर्ग फ़ीट में फैला हुआ है।आगे का लॉन बाद में देखा, पहले बैक यार्ड की किचन गार्डन का जायज़ा लिया। 16 जून 24 को भारत आने के पहले किचन गार्डन में यही उपरोक्त पौधे लगाकर आये थे और वहाँ वापस पहुँच कर ‘घर की खेती’ की यह उपज उन सबको मिली। जिसकी यह क्लिप उन्होंने मुझे यहाँ भेजी।
इस समाचार का महत्व इसलिए बढ़ जाता है कि भारतीय संस्कार सात समुंदर पार भी अपने भारतवासियों में वैसे ही बरकरार रहते हैं। घर में छोटा सा मंदिर सभी भारतीयों के घरों में वहाँ भी होता है।आगे पीछे लॉन, किचन गार्डन, फूल फल के पौधे भी होते हैं। अनार, सेव, पीच, अमरूद, नींबू आदि के पौधे भी बक़ायदा हैं जिनकी देख भाल दोनो पति-पत्नी मिलकर करते हैं।
मेरा कहने बताने का तात्पर्य यही है कि भारतीय सनातन संस्कृति की जड़ें सारे विश्व में गहरे तक फैली हुई हैं।
हम जब भी वहाँ होते हैं तो हमारे राष्ट्रीय पर्व सभी भारतीय मिलकर मनाते हैं। हमारे सभी धार्मिक व सामाजिक पर्व भी धूम धाम से मनाये जाते हैं।
सप्ताहांत में सभी भारतीय मिलजुल कर अपना मिलन कार्यक्रम किसी न किसी परिवार के साथ बनाते हैं।
जय हिंद, वंदे मातरम्, भारत माता की जय।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’, लखनऊ

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