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रानी दुर्गावती

रानी दुर्गावती

चंदेल वंश की बेटी वह,
गोंडवाने की महारानी थी l
काट – काट मुगलों को उसने,
सच्ची लिखी कहानी थी ll

रानी दुर्गा वती ने रण में,
भीषण लड़ी लड़ाई थी l
दोनों हाथों में तलवारें ले,
वह चंडी बनकर आयी थी ll

पंद्रह सौ चौबीस में जन्मी वह,
चंदेलों की शान थी l
रण कौशल में माहिर थी,
न समझो वह अनजान थी ll

तलवार चमकती अम्बर में,
वह दुर्गा की अवतारी थी l
सेना के छक्के छुड़ा दिए,
मुगलों पर पड़ती भारी थी ll

सैनिक वेश धारण करके वह,
हाथी पर चढ़ जाती थी l
दुश्मन को कुचल -कुचल रण में ,
वह आगे तक बढ़ जाती थी ll

साहस शील और वलिदानी,
समर भवानी रानी थी l
अकबर के छक्के छुड़ा दिए,
ये सबको याद जवानी थी ll

रानी दुर्गावती सदा ही,
जलती हुई चिंगारी थी l
नमन कोटिशःकरता हूँ मैं,
देश भक्त वह नारी थी ll

डॉ. बिश्वम्भर दयाल अवस्थी ,
271 मुरारी नगर,सिद्धेश्वर रोड, गली नं. 4 खुर्जा, बुलंदशहर (उत्तरप्रदेश )

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