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ये_जन्म_पुनर्जन्म_तो_नहीं,,,,, रश्मि मृदुलिका

 

ये_जन्म_पुनर्जन्म_तो_नहीं,,,

 

मीरा सी भक्ति, कभी राधा सी शक्ति,

व्याकुल सी फिरती है आत्मा बावरी,

कोई कर्ज है जिसे उतारना है अभी,

लगता है मुझे ये जन्म पुनर्जन्म तो नहीं,

 

रह गई कोई अभिलाषा आधी- अधूरी,

पैरों में नूपुर की धुन या फिर बांसुरी,

छाया सा दिखता है कोई कृष्ण सा अभी,

लगता है मुझे ये जन्म पुनर्जन्म तो नहीं,

 

जीवन की जद्दोजहद में हूँ उलझी,

कोई पहेली अभी मुझसे न सुलझी,

अभिमन्यु सी चक्रव्यूह में हूँ जैसे फंसी,

लगता है मुझे ये जन्म पुनर्जन्म तो नहीं,

 

छोड़ आई कुछ तो मैं कहीं न कहीं,

लौटना है शायद जग को प्रतिकर अभी,

कुछ तो रह गया जन्म के पार शायद अभी,

लगता है मुझे ये जन्म पुनर्जन्म तो नहीं,

 

अपमान के घूंट पीने है शायद अभी,

उपेक्षित शर के घाव गिनने है शायद अभी,

मुक्त होना है झूठ के बंधनों से शायद अभी,

लगता है मुझे ये जन्म पुनर्जन्म तो नहीं,

 

रश्मि मृदुलिका

©®

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