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दिल्ली ग्रेटर नएडा’ की रहने वाली ‘रौशनी अरोड़ा रश्मि जी’ का नाम : वर्ड रिकॉर्ड में दर्ज

‘दिल्ली ग्रेटर नएडा’ की रहने वाली ‘रौशनी अरोड़ा रश्मि जी’ का नाम : वर्ड रिकॉर्ड में दर्ज

किसी कवि ने सच ही कहा है कि *जग में मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती, रखते हों जो मज़बूत इरादे, मंज़िल उनकी दूर नहीं होती।*
यह पंँक्तियांँ ‘रौशनी अरोड़ा रश्मि’ जी पर फिट बैठती हैं। अपने ग्रहस्थ जीवन में न जाने कितने ही ग़म व पीड़ाओं को झेलते हुए, साहित्य को अपना अस्तित्व मानकर साहित्य-क्षेत्र में सदैव आगे बढ़ने वाली साहित्यकारा आदरणीया ‘रौशनी अरोड़ा रश्मि’ जी ने कभी पीछे पलटकर न देखा, वे तो बस जोर-शोर से निरंतर आगे बढ़ती चली गईं। आज़ इनकी क़लम की अद्भुत रौशनी से जगमगा उठे समस्त दिल्ली ग्रेटर नॉएडा के वासी। इनकी प्रशंसा मैं किन शब्दों से करूंँ शायद मेरे लिए शब्द ही कम पड़ जाएँगे। मैं ‘संदीप कुमार विश्वास’ इनकी अथक मेहनत, परिश्रम व कुछ कर दिखाने की जूनून को सहृदय सलामी देता हूंँ, सच में! माँ शारदे इनके दिल और इनकी कलम निवास करतीं हैं। इनका एक ही सपना था कि साहित्य को साथ लेकर चलते रहना और प्रकाशिका बनना। वैसे तो ‘रौशनी अरोड़ा रश्मि’ जी को 12 पहले वर्ष साहित्य में रूची हुई और उन्होंने ने भजनों को लिखने से अपने लेखन का शुभारम्भ किया। परन्तु 6 वर्ष पूर्व उन्होंने दिल्ली में वास किया और बस इन मात्र 6 वर्षों में ही इन्होंने अपने कड़े परिश्रम व लगन से खुदको लेखिका से प्रकाशिका बनाकर अपने होशोहवास में देखें स्वप्न को साकार किया। आजकल के दौर में जहांँ-जहाँ ‘पब्लिकेशन हॉउस’ की दुकानें बनी हुई हैं वहांँ अक्सर लूट-फरेब व धोखाधड़ी में शिकार रचनाकार ही होते रहे हैं और इन धोखाधड़ियों से प्रत्येक रचनाकारों को बचाने हेतु ही ये प्रकाशिका बनी हैं ताकि अब कोई भी रचनाकार ठगी का शिकार न हो, इसलिए ये ‘परमहंस पब्लिकेशन’ की प्रकाशिका के रूप में आज साहित्य के सुनहरे पटल को अपनी रौशनी से रौशन करती हुई नज़र आती हैं। इनकी और इनके ‘परमहंस पब्लिकेशन’ की प्रशंसा मैं अपने मुखारविंद से क्या और कैसे करूँ जब आप इस पब्लिकेशन से जुड़ेंगे तो आपको खुद ब खुद पता चल जाएगा। इनके ‘पब्लिकेशन’ से प्रकाशित होने वाली पुस्तकें बहुत ही आकर्षक व मन को मोहने वाली होती हैं, साथ ही साथ सफ़ेद मुलायम कागज का स्तेमाल करके पुस्तक में चार चाँद लगा देती हैं। अन्य प्रकाशन की तुलना में यहाँ कम लागत पूँजी में पुस्तक बन कर तैयार हो जाती है। इनके ‘परमहंस पब्लिकेशन हॉउस’ से मैंने भी अपना ‘एकल संग्रह’ प्रकाशित करवाया है जिसका शीर्षक है ‘उम्मीदों से भरी ज़िंदगी’। वाकई में इनका कार्य सबसे अनोखा व एवं बहुत ही बेहतरीन है। बहुत जल्द मेरा एक और ‘एकल संग्रह’ इनके ‘परमहंस पब्लिकेशन हॉउस’ से प्रकाशित होने वाला है जिसका शीर्षक है ‘अनुभव ज़िंदगी के’। आज जब साहित्यकारा आदरणीया ‘रौशनी अरोड़ा रश्मि जी’ का नाम ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज किया गया तो मैं इनके संक्षिप्त जीवन व इनके साहित्य की चर्चा करने से अपने आप को रोक नहीं पाया। आज ‘संगम अकादमी’ एवं ‘संगम पब्लिकेशन हाउस’ कोटा राजस्थान द्वारा पुस्तक ‘संगम’, जो कि ‘वर्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज हुई है, और ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’ वाले प्रमाण-पत्र उसमें मौजूद सभी रचनाओं के लेखक-लेखिकाओं को ‘संगम पब्लिकेशन हाउस’ के ‘संस्थापक’ आदरणीय ‘श्री ओमप्रकाश लववंशी जी’ के द्वारा प्रदान किया गया है, जिनमें से एक नाम मेरा (संदीप कुमार विश्वास) और एक नाम ‘रौशनी अरोड़ा रश्मि’ जी का भी है। इस संकलन में कुल 127 रचनाकारों की एक से बढ़कर एक रचनाओं को शामिल किया गया है जो कि पाठकों के लिए अमृत वरदान से कम नहीं हैं। वर्ल्ड रिकॉर्ड वाली पुस्तक ‘संगम’ में लगभग 1200 (बारह सौ ) पेज हैं तथा उसका आकर्षक कवर पेज मन को मोहित कर लेता है। वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने से ‘परमहंस पब्लिकेशन’ की प्रकाशिका एवं लेखिका आदरणीया ‘रौशनी अरोड़ा रश्मि’ जी के सहपाठीगण एवं उनके परिजनों में ख़ुशी की लहर देखने को मिल रही है। उनके परिजनों ने उन्हें आशिर्वाद देते हुए कहा देखो रौशनी तुम हमेशा ही अपने साहित्य को अपनी जादुई क़लम की रौशनी से रौशन करती रहो मेरा आशिर्वाद तुम्हारे साथ हैं। चलते-चलते मैं रौशनी अरोड़ा रश्मि जी जो कि मेरी मुँहबोली बहन हैं उनके लिए ईश्वर से उनकी दीर्घायु की कामना करता हूंँ साथ ही ढेरों बधाइयांँ व शुभकामनाएंँ भी देता हूंँ।

समीक्षक व लेखक : संदीप कुमार’विश्वास’

 

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