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मां के रूप अनेक

मां के रूप अनेक

मां तेरा रूप है नूरानी,मनचली,
एक झलक,देता सुकून,आली,
खुदा का सर्वोच्च कृति,मृणाल,
मां तेरा रंग,रूप अनेक,तमाल.।।।

लाल,बाल के लिए है प्रियतम,
उनका देखभाल में रहती,राम,
पति,देवर,ननंद भी तुझे प्यारा,
दो कुलो की शोभा,वो मनोहर।।।

घर-आंगन की गहना है माता,
रंगोली भी तु,आस्तिक,उत्तम,
नखशिख वर्णन,असमर्थ सम,
मां तेरा भुमिका,महत्व,अनेक.।।।

सत्य से कलि हर युग में महती,
तु अतुल्य,अनन्य,मनको भाती,
तेरा ॠण है सब पर वेहद,भारी
ऋण चुकाना नहीं आसां,मुरार.।।।

अहो,माता खुशनसीब हैं हम,
तेरा आंचल से मिले जन्नत-सुख
जग के बेशुमार धन,चारो धाम,
हर जनम में तेरा अंक हो,उत्तम.।।

श्रीमती अरुणा अग्रवाल
लोरमी, जिला मुंगेली, छ, ग,

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