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एक पाठकीय प्रतिक्रिया

एक पाठकीय प्रतिक्रिया

पुस्तक का नाम- बादल रोने लगा
(बाल कहानी संग्रह)
कहानीकार- संजीव जायसवाल ’संजय’
संपर्क- मोबाइल नं.- 73182 13943
पुस्तक का मूल्य- ₹ 260.00 पेपर बैक (पृष्ठ-64)
प्रकाशन- अद्विक पब्लिकेशन प्रा. लि., पटपड़गंज, दिल्ली–110092

“बाल साहित्य ऐसा हो जो बच्चों की जिज्ञासाएँ शांत करे, रुचियों में परिष्कार लाये और बच्चों में अच्छे संस्कार भरे।” बाल साहित्यकार– विष्णु कांत पाण्डेय

यह सच है कि प्राचीनकाल में लोक कविता, कथाएँ और लोरियाँ ही देश की सभ्यता, संस्कृति और मानव मूल्यों का प्रतिबिंब होती थीं। तब कोई लिखित साहित्य नहीं होता था, बल्कि तब ये कथाएँ बच्चों का मनोरंजन करने के लिए मौखिक कथन द्वारा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होती रहती थीं। लेकिन आज संचार–माध्यमों की प्रगति ने उसमें वैश्विक चेतना को भी समाहित कर दिया है। जिससे बाल साहित्यकारों की जिम्मेदारियाँ भी बढ़ गई हैं।

ऐसे ही श्रेष्ठ बाल साहित्यकार संजीव जायसवाल ’संजय’ अपने नए–नए विषयों से ओत–प्रोत, रोचक और प्रेरक कहानियाँ रच कर आज के बच्चों का मन मोह रहे हैं। इस संग्रह में ’ताज़ी मिठाइयाँ ’ कहानी में आपने मिठाइयों की आपसी चुहलबाज़ी और बच्चों की जागरूकता से इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया/मोबाइल के माध्यम से दुष्ट हलवाई की पोल खोल कर उसे सही मार्ग दिखाने में सफल हुए हैं–

“अरे वाह! यहाँ जलेबी और समोसे एक ही कड़ाही में तले जा रहे हैं…। लड़के ने कड़ाही में एक साथ तले जा रहे जलेबी और समोसे की तीन–चार फोटो के साथ दुकान की भी फोटो खींच ली। थोड़ी ही देर में उसने इन फोटो को फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर पर हैश टैग करके अपलोड कर दिया। …. तत्काल स्वास्थ्य विभाग ने दुकान में छापा मार कर हलवाई को दण्डित किया।” पृष्ठ–४९

इन्हीं बातों को ध्यान में रख कर विष्णु कांत पाण्डेय ने कहा कि–”बाल साहित्य रोचक और प्रेरक दोनों ही होना चाहिए। जिससे उनके भावी जीवन के लिए उन्हें स्वयं तैयार कर देने की परोक्ष उत्प्रेरणाएँ देने वाला साहित्य ही सच्चा बाल साहित्य है।” क्योंकि कोरी भावुकता, कल्पना और ज्ञानयुक्त बाल साहित्य बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है। इस संग्रह की प्रथम कहानी ’पिंटू आइस पार्लर’ में पिंटू ने शैतान जंबो हाथी को सबक सिखाया। ’कटहल ने दौड़ाया’ शीर्षक से सीख मिलती है कि हमें किसी दूसरे की नकल न करके अपनी बुद्धि कौशल और शारीरिक क्षमता के अनुसार ही अपने सारे कार्य करना चाहिए।

’सब्जियों का राजा कौन’ शीर्षक की कहानी में आलू, टमाटर, मिर्च और प्याज के अहंकार को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत करते हुए किसान के माध्यम से भाईचारा और सद्भावना का संदेश देने में सफल है। इस संग्रह में कुल दस कहानियाँ सम्मिलित हैं–हल और बैल, बात समझ में आ गई, टीटू तुम फिर आना, नाली में सुई, शरारतों के उस्ताद आदि सभी रोचक और प्रेरक हैं। लेकिन संग्रह की शीर्षक वाली कहानी ’बादल रोने लगा’ इन सभी सर्वश्रेष्ठ कहानियों में से एक करिश्माई कहानी है। यह संग्रह चिकने, चमकीले पन्नों में लोक लुभावन और मनोरम चित्रों के द्वारा आकर्षक रूप से सजाया गया है। इसमें सुष्ठ कथानक, भाव, अभिधा, व्यंजना, रस, अलंकार और मानक प्रतीकों से अद्भुत रोचकता, बुद्धिमत्ता, सकारात्मकता की सोच को नैतिकता के ऊंचे शिखर पर स्थापित किया गया है। हमें यह सोचने की विवश कर देता है कि बादल प्रसन्नता से पानी बरसाता है अथवा दुःखी होकर अपने आँसू बहाता है। निश्चित रूप से प्रकृति ने हम मानवों/जीवों को एक सकारात्मकता का भाव दिया है जिसका अनुशीलन करके कोई भी व्यक्ति कभी भी दुःखी नहीं हो सकता है।

इस प्रकार आपने इस कहानी संग्रह के माध्यम से बाल साहित्य का प्रमुख लक्ष्य बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को पुष्ट करके समाज को एक नई दिशा देने का सफल और श्रेष्ठ कार्य किया है। यह कहानी संग्रह पठनीय है, संग्रहणीय है और बच्चों के जन्मदिन पर उन्हें भेंट में दिए जाने योग्य उत्तम उपहार भी है। अतः आपको इस समाजोपयोगी बाल कहानी संग्रह के प्रणयन पर हार्दिक शुभकामनाएं और ढेरों बधाईयाँ।

समीक्षक
केवल प्रसाद सत्यम
94155 41353
संस्थापक अध्यक्ष
सत्यम साहित्य संस्थान, उ. प्र. लखनऊ

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