Search for:

याचना

याचना

जनकसुता ने ध्यान किया जब,
आशीष तुम्हारा सुखदाई।
शिवप्रिया,महागौरी मैय्या,
बेर तनिक भी नहीं लगाई ।
शेर सवारी करके माता,
महिषासुर को गति दीनी।
सभी देवता पुष्प गिराए,
अभयदान माता दीनी।
कष्टों से हूँ घिरा हुआ माँ,
माँ चंचल वरदान दो।
आश लगाए द्वारे आया,
माता झोली अब भर दो।
असुरों की संहारिणी माता,
मानव का उद्धार किया।
जो भी आया शरण तिहारे,
इच्छा सारी पूर्ण किया।
अडहुल, धूप-दीप ,न माता,
भावभक्ति केवल मेरे।
सारी सृष्टि रचाने वाली,
भक्त तुम्हें माता क्या दे?
मैय्या-मैय्या,टेर रहा मैं,
अर्जी माँ बस कर पाया।
मर्जी चाह रहा मैं माता,
खाली झोली ही लाया।
झोली यह भर जाए माता,
सिद्धिदात्री सिद्ध करें।
जो भी आए द्वारे मेरे,
सच्चे भाव से वरण करें।
इतना भाव मुझे दो माता,
उदर कुटुम्बी भर जाए।
भूखा-प्यासा,रहूँ न माता,
न ऐसा वापस जाए।
और की नहीं लालसा मुझको,
भक्तिभाव मेरे उर हो।
माता-माता,सदा पुकारूँ,
कमी न लेशमात्र उर हो।

रमेश कुमार द्विवेदी ,चंचल,
सुलतानपुर – उत्तर प्रदेश

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required