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लोकतंत्र का महापर्व – आम चुनाव

लोकतंत्र का महापर्व – आम चुनाव

लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ होता है लोक+तंत्र अर्थात जनता का शासन। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए शासन व्यवस्था होती है। इस प्रजातंत्र में जनता अपने विवेकानुसार अपना प्रतिनिधि मतदान के माध्यम से चुन सकती है। एक श्रेष्ठ लोकतंत्र में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक न्याय के साथ-साथ धार्मिक स्वतंत्रता भी होती है। जाति, धर्म, वर्ण, वंश, धन एवं लिंग के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है। लोकतंत्र जनतंत्र के रूप में केवल शासन प्रणाली तक ही सीमित नहीं है। जनतंत्र सुगठित और आदर्श समाज का शक्तिशाली ढाँचा भी है।

हमें गर्व है कि हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र है। प्रजातंत्र में जनता की सहभागिता आम चुनाव के माध्यम से ही सुनिश्चित होती है। असल अर्थों में सत्ता की कुंजी जनता के हाथ होती है। भारत में लोकतंत्र का महापर्व पाँच वर्षों में आम चुनाव के रूप में होता है। आम चुनाव का संचालन चुनाव आयोग करता है जो एक निष्पक्ष और स्वतंत्र निकाय है।

मतदान का अधिकार- भारत का नागरिक जिसने आयु अठारह वर्ष पूर्ण कर ली हो मतदान का अधिकारी है। जिसके पास मत देने का अधिकार होता है वह मतदाता कहलाता है। मतदाता जाति, धर्म वर्ण, शिक्षा, रंग और धन में असामनता होने पर भी मतदान से वंचित नहीं होता। मानसिक रूप से अक्षम व्यक्ति ही मतदान हेतु आयोग्य माना जाता है। मतदान स्वयं के विचार प्रगट करने का एक सशक्त माध्यम है। मतदाता अपने विवेकानुसार बिना किसी भय या दबाव से रहित अपना प्रतिनिधि चुनने को स्वतंत्र होता है।

चुनाव प्रक्रिया- आम चुनाव के तिथियों की अधिसूचना जारी होते ही आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जाती है। चुनाव लड़ने वाले सभी दलों को आचार संहिता का पालन अनिवार्य होता है। आचार संहिता चुनाव की घोषणा से चुनाव की समाप्ति तक लागू रहती है। इस समयावधि में लोकलुभावन घोषणाएँ, धन-बल, बाहु-बल, योजनाएँ आदि का प्रयोग वर्जित रहता है। निर्वाचन लड़ने वाले प्रत्याशियों द्वारा नामांकन दाखिल किए जाते हैं। सूक्ष्मता से जाँचकर प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी होती है। तयशुदा तारीख और समय में मतदान संपन्न करवाया जाता है। मतदान संपन्न होने के बाद मतो की गिनती कराई जाती है। सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाला प्रत्याशी विजेता घोषित किया जाता है। इस प्रकार अगले पाँच वर्षों के लिए विजित प्रत्याशी जनप्रतिनिधि के रूप में जनसेवा करते हैं।

लेखन- डॉ. कन्हैया साहू ‘अमित’
शिक्षक- भाटापारा छत्तीसगढ़

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