ढूंढ रहे हैं
ढूंढ रहे हैं
दिल तोड़ दिया और वफ़ा ढूंढ रहे हैं
वो इश्क़ भुलाकर के ख़ुदा ढूंढ रहे हैं
ये दर्द मुझे खूब दिए यार उसी ने
जो दर्द ए बाज़ार दवा ढूंढ रहे हैं
अब छोड़ दिया यार गली और उसी को
वो लोग अभी तक भी पता ढूंढ रहे हैं
ठुकरा कर जो प्यार हमें छोड़ गए थे
वो आज हमीं में ही खता ढूंढ रहे हैं
अब तलक चिरागों ने जला खाक की बस्ती
वो लोग यहां दोष हवा ढूंढ रहे हैं
*शिवम शर्मा विशेष*
पावटा, ललाना, जयपुर राजस्थान