छंदों की बारात
तुम मेरी सुबह मेरी शाम मेरी रात हो तुम,
दूज का चांद हो या तारों की बरसात हो तुम।
तुम हो प्रातः की प्रार्थना
या संध्या का वंदन,
बसंत का हो आगमन
या दिलों का बंधन।
तुम मेरी प्रेम डगर हो मेरी मंजिल हो तुम।
गीत की पालकी हो छंदों की बारात हो तुम।
तुम मेरी सुबह मेरी शाम मेरी रात हो तुम ।
गुनगुनी धूप हो या
जल समीर का झोंका,
या हो तुम युगों बाद आया
मिलन का मौका।
तुम मेरे ख्वाब,मेरे स्वप्न,मेरी नींद हो तुम।
हमारी मखमली सी पहली मुलाकात हो तुम।
तुम मेरी सुबह मेरी शाम मेरी रात हो तुम,
आरजू का महल या
इन्तजार की देहरी,
मन की मृगतृष्णा हो या
तृप्ति की नदिया गहरी।
तुम मेरे प्यार के पाताल हो आकाश हो तुम ।
तुम मेरी रूह मेरी सारी कायनात हो तुम।
तुम मेरी सुबह मेरी शाम मेरी रात हो तुम,
गीतकार- अनिल भारद्वाज एडवोकेट उच्च न्यायालय ग्वालियर मध्य प्रदेश।
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राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्र *भारत की बात* मैं गीत *छंदों की बारात* सुरेश स्टार मनमोहक प्रकाशन /प्रसारण जाने पर संपादक महोदय और उनके संपादन मंडल का हार्दिक आभार, धन्यवाद।
गीतकार -अनिल भारद्वाज एडवोकेट उच्च न्यायालय ग्वालियर मध्य प्रदेश।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्र *भारत की बात* मैं गीत *छंदों की बारात* श्रेष्ठ प्रकाशन /प्रसारण जाने पर संपादक महोदय और उनके संपादन मंडल का हार्दिक आभार, धन्यवाद।
गीतकार -अनिल भारद्वाज एडवोकेट उच्च न्यायालय ग्वालियर मध्य प्रदेश।