पद की प्रतिष्ठा
पद की प्रतिष्ठा
पद की प्रतिष्ठा तु रख ना सके
मौका मिलते ही तु अपनो दिया धोखे
अपार हर्ष के साथ तुम्हे सौपे थे सिंहासन
कि करोगे तु हमसबो को कल्याण
लेकिन अफसोस कि
ऐसा हो ना सका तेरी लालची मन के कारण
हमसबो को मायूस किये तु अकारण
तोड़ हमारे भरोसे को तुने अपार
खूब किया पद की आड़े भ्रष्टाचार
निज हित की पूर्ति हेतु
यहाँ वहाँ के लोगों को बनाया सेतु
मुखौटा सुन्दर सा लगाकर तुने
झूठ मूठ का उपलब्धि लगाये भूने
लेकिन कहता है कि सत्य है कहावत
छिप ना सकती है गलती और घबराहट
तेरे भी गुनाहो का हुआ पर्दाफाश
लोगों के बीच खूब उड़ा तेरा उपहास
कि इतने सुरक्षित पद पर जब थे विराजमान ?
तो भ्रष्टाचार का क्यों थामे दामन
बेफिक्र हो कर सबका करते भलाई
और खुद भी खाते खूब रबड़ी मलाई
लेकिन
अति लौभः पापस्य कारणम्
का तुने नही किये स्मरण?
अब जब सारे जग मे हो रही है जगहसाई
तो चमचे द्वारा दिला रहा हो सफाई
सब लोग जान चुके हैं आपका कारनामा
जाओ अब वही ,जहाँ है असली ठिकाना
आम लोग है हमसभी,जैसे है रह जायेगे
फिर कोई आयेगा बहुरूपिये, तो उसे भी पद दे देगे
वो फिर से तेरे जैसा पद का दुरुपयोग करेगे
और वो भी अपना ठिकाना पहूचेगे का काम करेगे
लेकिन हमारे आम लोगों का कुछ भला नही होगा
जो भी आयेगा,पद का दुरुपयोग अवश्य करेगा
चुन्नू साहा पाकूड झारखण्ड उ