माँ से बड़ा कोई नहीं
माँ से बड़ा कोई नहीं
मै अपनी माँ के चरणों का,चरणामृत रोज लेता हूँ,
सुबह उठ रोज धरती माँ को,माथा टेक देता हूँ।
गरीबो की दुआ मुझको,फकीरों सी ही लग जाती,
मै जिस दिन दो गरीबों के भी,आंसू पोछ देता हूँ।
नही माँ से बड़ा कोई तीरथ विश्व के अन्दर,
न माँ से बढ़ के है काशी है न कोई पीर पैगम्बर।
हजारो पुण्य कर लो तुम, हजारो तीर्थ कर आओ,
नही की माँ की सेवा तो,वृथा पूजा वृथा मंदिर।
भले ही धूर्त बेटा है,वो जाहिल है, कसाई है,
मगर हर माँ का बेटा तो,उसे राघव कन्हाई है।
निकाला मूर्ख बेटे ने, था बूढ़ी माँ को घर मे से,
उसी बेटे की चिंता मे, ना माँ को नींद आई है।
सीचे जो तुझे खुन से,माँ का ही दिल तो है,
नौ माह रखे पेट मे,माँ का दिल ही तो है।
बेटे के लिए माँ ने क्या नही किया,
झेले जो भी त्रासदी, माँ का ही दिल तो है।
हास्य कवि व्यंग्यकार
अमन रंगेला “अमन” सनातनी
सावनेर नागपुर महाराष्ट्र