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कला, संस्कृति का संरक्षण हमेशा राजाओं द्वारा दिया गया – कमलचंद्र भंजदेव

कला, संस्कृति का संरक्षण हमेशा राजाओं द्वारा दिया गया – कमलचंद्र भंजदेव
रायपुर _ धान के कटोरा छत्तीसगढ़ महतारी के पावन आंचल में पुष्पित व पल्लवित होते हिन्दी मासिक पत्रिका धरोहर हमारे गौरव से संबद्ध शिखर साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ द्वारा 01 सितंबर को स्थानीय वृंदावन सभाकक्ष में सोनचिरैया ममतामयी भारतमाता के प्रतिकृति को प्रकाश पुंज से आलोकित करते, विविधता में एकता की झलक बिखेरते लोककला, संस्कृति, साहित्य,लोकपरंपराओं को अक्षुण्ण बनाए रखने व प्रतिभाओं को मुखरित करने एवं देश भर में वंचितों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले गुमनाम नायकों को पहचान और प्रेरणा देने के लिए लोककला साहित्य पर वैचारिक संगोष्ठी एवं राष्ट्रीय सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मा महाराजा कमलचंद्र भंजदेव राजमहल जगदलपुर, अध्यक्षता मा गुरु खुशवंत साहेब विधायक आरंग तथा विशिष्ट अतिथि द्वय पद्मश्री डॉ राधेश्याम बारले व पद्मश्री डॉ उषा बारले की गरिमामय उपस्थिति में संपन्न हुआ।
जय लिंगों बाबा आदिवासी मांदरी दल बलदेव दर्रो एवं साथी कांकेर द्वारा नृत्य करते हुए अतिथियों को मंच तक लाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मंचस्थ अतिथियों द्वारा भारत रत्न बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। तत्पश्चात् पुनीदास मानिकपुरी एवं साथी द्वारा राजगीत व स्वागत गीत के साथ कार्यक्रम का आगाज किया गया। शिखर साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष एवं धरोहर हमारे गौरव के प्रधान संपादक डॉ मन्नूलाल चेलक ने स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया तथा शिक्षक व साहित्यकार भागेश्वर पात्र ने कार्यक्रम के संबंध में प्रकाश डाला।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि की आसंदी से महाराजा कमलचंद्र भंजदेव ने कहा कि देश की कला, संस्कृति का संरक्षण पूर्व से ही राजाओं द्वारा दिया गया है, जिसका जीता जागता उदाहरण एशिया में सबसे बड़ा संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय है।जिसे राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह रानी पद्मावती ने अपने पुत्री इंदिरा के नाम पर सन् 1956 को महल को संगीत के लिए दान किया था।
अतिथियों के उद्बोधन के बाद शिक्षा,कला, साहित्य, समाज सेवा, पत्रकारिता, क़ृषि एवं महिला उत्थान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले विभूतियों को धरोहर हमारे गौरव सम्मान, छत्तीसगढ़ गौरव सम्मान, शिखर साहित्य सम्मान, शिखर कला रत्न सम्मान, शिखर शिक्षक रत्न सम्मान, भारत भूषण सम्मान, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर सम्मान, शहीद गेंद सिंह नायक सम्मान तथा क्रीड़ा रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया।
कसडोल जिला बलौदा बाजार के डॉ शिवकुमार श्रीवास एवं डॉ नीरामणी श्रीवास द्वारा लिखित पुस्तक मदारी व सपनों का मंदिर तथा रत्नागिरी महाराष्ट्र के प्रा भोईर सुनिल मारुती का काव्य संग्रह मोर पंख,पं रविवि रायपुर के तकनीकी शिक्षक संतोष डहरिया के ई लाइब्रेरी का विमोचन मंचस्थ अतिथियों द्वारा किया गया।
हल्बी लोककला मंच सोनपुर जिला नारायणपुर डमरु धनेलिया एवं साथी की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया वहीं नन्ही बालिका वैष्णवी रंगारी लखोली राजनांदगांव के पंथी गीत ने लोगों को बहुत पसंद आया, कसडोल बलौदाबाजार के सुश्री बिन्दु पैकरा के बस्तरिहा गीत ने लोगों को झूमने के लिए मजबूर कर दिया, कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो विजय मिर्चे एवं आभार व्यक्त कुंवर अमृतांशु महासचिव ने किया।
इस अवसर पर ननीतादेवी, अशोक कुमार साहू, राजश्री साहू,सरस्वती राघव,शशि,किरन वर्मा,राजनंदिनी आयुषी,चारवी,आसवी सहित आमजन उपस्थिति थे।

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