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होली

होली

सबके मन में प्यार की, फुहार बरसाई है।
जग-जन के जीवन में, नया रंग लाई है।
फागुन के होरियारों पर,आज मस्ती छाई है।
रंगों का त्योहार लेकर, होली आई है।।

ईर्ष्या-द्वेष को कर दो भाइयों,इस बार होली में दहन।
अबीर-गुलाल प्रेम से लगाओ, सद्भावना भरा जहन।
अहिंसा का जश्न मनाओ, कोई कुछ न पाए कहन।
तभी वास्तव में कहलाएगा,यादगार होली का दहन।।

ऊँच-नीच का भेद मिटाकर, सबको गले लगाओ।
हर वर्ग-धर्म के लोगों को, खुशी-खुशी अपनाओ।
सहिष्णुता-समानता की, घर-घर अलख जगाओ।
देश के हर आंगन में,समरसता का रस बरसाओ।।

डॉ.जगदीश चंद्र वर्मा
(राष्ट्रपति एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कृत शिक्षक)
गाजियाबाद (उ.प्र)

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