हिन्दी के साथ खिलवाड़ क्यों..?
हिन्दी के साथ खिलवाड़ क्यों..?
मैं अपना विचार आपके समक्ष प्रस्तुत कर रही हूं…
मेरा मानना है कि कोई भी भाषा अपना अस्तित्व तभी होती है जब उसको पढ़ने लिखने वाले उसका इस्तेमाल करना बंद कर देते हैं। इसलिए हिंदी का अस्तित्व
तभी खोयेगा जब हिंदी भाषी इसका इस्तेमाल करना, उपयोग करना बंद कर देंगे। मेरा तो ऐसा करने का विचार नहीं है। नहीं मैं अपनी आने वाली पीढ़ी को हिंदी से मुंह मोड़ने के लिए प्रेरित करूंगी।
आज हिन्दी से खिलवाड़ हो रहा है …यह सत्य है ..इसे झुठलाया नहीं जा सकता है।
“हिन्दी भाषा हिन्दुस्तान है
जन -जन की वाणी है
पल भर के लिए जरा सोचें हम इंसान क्या..?
रख पाते हैं इसका ध्यान
सिर्फ 14 सितम्बर को ही करते हैं
अपनी राष्ट्रभाषा का सम्मान क्यों..?
हर पल हर दिन करते हैं
हम हिन्दी बोलने वालों का अपमान क्यों..?
“हिन्दी बचाओ अभियान ” आखिर क्यों..?
भूल जाते हैं हम हिन्दी को अपमानित करते हैं स्वयं हिन्दुस्तानी इंसान
क्यों , समझते हैं सब अंग्रेजी बोलने में खुद को महान
अरे ! सोते हुए भारतीय इंसान
अब तो जागो और जगाओ अपना सोया हुआ स्वाभिमान
हम सब मिलकर करें प्रयास
हम हक दिलाएं अपनी मातृभाषा दिलायें अंतरराष्ट्रीय पहचान
हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा
मेरे देश का स्वाभिमान है।
वही वही मुझे तो ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया के आ जाने से हिंदी का प्रभाव बढ़ा है। जो लोग कारपोरेट में नौकरी के चलते अंग्रेजी में बातचीत करने के लिए मजबूर हैं वह भी ऐसे मंचों पर हिंदी में सक्रिय हो रहे हैं। 2011 मैं प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार 5 में से एक व्यक्ति हिंदी में गूगल में सामग्री ढूंढना पसंद करता है। 2019 में यह चलन और बढ़ा है।
ऐसे में मुझे लगता है कि हिंदी नहीं खोने वाली है। कुछ हिंदी भाषी जरूर अपनी कमजोर हिंदी पर गर्व महसूस करें लेकिन ज्यादातर व्यक्ति हिंदी में चीजों का इस्तेमाल करना चाहते हैं। गूगल भी मानता है कि अंग्रेजी के बाद गूगल असिस्टेंट का सबसे ज्यादा प्रयोग हिंदी में ही हो रहा है।
इन सभी बातों को मद्देनजर निष्कर्ष निकलता है कि हम पर है यह हम पर हैं कि हम हिंदी को खोने ने देते हैं या नहीं। हम सब बिंदास हिंदी बोलें, हिंदी लिखें, हिंदी में अपने विचार को रखें, हिंदी में आने वाले उत्पादों का
ही प्रयोग करें।
सिर्फ और सिर्फ 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाना, हिन्दी दिवस पर हिन्दी पखवाड़ा समारोह आयोजित करने से हिन्दी का उत्थान नहीं कर पायेंगे ।जरूरत है हम सब मिलकर संकल्प लें….
“हिन्दी हिन्दुस्तान की भाषा है
हिन्दी में ही बोलें बतियाएं हिन्दी में ही काम करें ”
तभी हम हिन्दी का विकास कर पाएंगे।
डॉ मीना कुमारी परिहार