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आचार्य चतुरसेन शास्त्री के 133वीं जयंती पर सामयिक संवाद

आचार्य चतुरसेन शास्त्री के 133वीं जयंती पर सामयिक संवाद
औरंगाबाद 26/8/24
सदर प्रखंड स्थित ग्राम जम्होर में जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में भारत के महान साहित्यकार आचार्य चतुरसेन शास्त्री जी के 133 वीं जयंती के अवसर पर सामयिक संवाद का आयोजन किया गया।जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह,उपाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र,महामंत्री धनंजय जयपुरी के आह्वान पर सामयिक संवाद करते हुए संस्था के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने बताया कि चतुरसेन शास्त्री जी उपन्यासकार के रूप में अपनी विशिष्ट छवि बनाई थी। ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित उनके उपन्यास हमेशा से चर्चा का विषय रहा करते थे। उनके उपन्यास गोली सामाजिक संरचनाओं को इंगित है तो वयं रक्षाम समाज संस्कृति को क्रांतिकारी प्रदान करने वाली है। इस उपन्यास के कथानक में वैशाली की नगरवधू साम्राज्यवादी व्यवस्था पर कचोट करती हुई लोकतांत्रिक विचारधारा को प्रतिस्थापित करती है। आभा के माध्यम से वे समाज को सीधा देखते हुए गौरवशाली इतिहास के नायकों से अपनी बात कहलवाते हैं। चतुरसेन शास्त्री जी भावुक, संवेदनशील एवं स्वाभिमानी प्रकृति के लेखक थे।उनके रचनाओं में भावना की प्रधानता है संवेदना इतनी गहरी दिखाई पड़ती हैं की पाठक पढ़ते ही संवेदना से ओत प्रोत हो जाता है। चतुरसेन शास्त्री की रचनाएं बौद्धिक क्षमता के लोगों के लिए विषय वस्तु है। संवेदनशील लोगों के लिए विचारधारा है तो विपरीत विचारधारा से अपनी मंतव्य दोहराने वालों के लिए कथन का काम करती है।संवाद के मौके पर सुजीत कुमार सिंह,राहुल राज जितेंद्र कुमार सिंह, राम पुकार ओझा पवन कुमार सिंह,सोम प्रकाश रविकर, सौरभ राज सहित अन्य उपस्थित थे।

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