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विश्व पटल पर छायी संस्कृत भाषा रोजगार देने में भी सक्षम

विश्व पटल पर छायी संस्कृत भाषा रोजगार देने में भी सक्षम
औरंगाबाद 26/8/24
जिला मुख्यालय औरंगाबाद के क्लब रोड के समीप रामनरेश सिंह संस्कृत महाविद्यालय के प्रांगण में महाविद्यालय परिवार, जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन औरंगाबाद एवं समकालीन जवाबदेही परिवार के संयुक्त तत्वावधान में संस्कृत दिवस सप्ताह के निमित्त एक विचार-गोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य सूर्यपत सिंह ने किया जबकि संचालन की जिम्मेदारी जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री धनंजय जयपुरी ने निभाई। सर्वप्रथम कार्यक्रम के अध्यक्ष, मुख्य अतिथि जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह,विशिष्ट अतिथि डॉ रामाधार सिंह, पूर्व प्रधानाध्यापक बैजनाथ सिंह, रविंद्र कुमार सिंह, प्रख्यात कर्मकांडी आचार्य लालभूषण मिश्र एवं आचार्य वंशीधर पाण्डेय, अधिवक्ता सिद्धेश्वर विद्यार्थी,गोकुल सिंह एवं अन्य लोगों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। तत्पश्चात् ऋग्वेद की प्रतियों पर पुष्पार्पण कर विधिवत् पूजा-अर्चना की गई। संबोधन के क्रम में वक्ताओं ने संस्कृत भाषा की विशेषता पर प्रकाश डाला।विनय पाण्डेय और लालभूषण मिश्र ने संस्कृत भाषा में अपना वक्तव्य दिया। डॉ रामाधार सिंह ने संस्कृत से जुड़े पर्यावरणीय पहलुओं की चर्चा की। बैजनाथ सिंह ने संस्कृत के सरल भाषा में शिक्षा देने की पहल की।डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने संस्कृत भाषा को सभी भाषाओं की जननी बताया।अध्यक्षीय उद्बोधन में सूर्यपत सिंह ने कहा कि संस्कृत भाषा वर्तमान परिदृश्य में रोजगार की भाषा बन चुकी है इसके पाठकों की संख्या की कमी नहीं है। यह विश्व पटल पर विशिष्ट पहचान बनाई है। मौके पर प्रो राजेंद्र सिंह, प्रसिद्ध कवि एवं लेखक लवकुश प्रसाद सिंह, लालदेव सिंह, रामजी सिंह, नागेन्द्र केसरी ,राम सुरेश सिंह, पुरुषोत्तम पाठक, अनुज बेचैन, विनोद कुमार सिंह सहित अन्य उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने किया।

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