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होली आई

होली आई

होली आई , बहार लाई ।
खुशियों का त्योहार है होली ।
प्रेम और रंग का त्योहार है होली। दुश्मन को गले लगाती है होली।
दोस्ती को बढाती है होली।
कृष्ण और राधा की है होली।
सीता और राम की है होली।
देवी – देवताओं की है होली ।
हम भी खेलते है होली।
गोकुळ ,वृंदावन और आयोध्या,
मथुरा ,काशी और मदुराई में,
रंग बे रंग चलती है होली।
सज गई पूरी धरती माता ,
सब करते है नृत्य यहाँ,
जब होती है होली यहाँ।
जिंदगी मे रंग है तो ही ,
उमंग और उल्हास है ।
मौज मस्ती तो होली है ,
फाग की बेलाऔर रंगों का मेला ,
प्रकृति भी सज गई है ।
दुल्हन सा रूप लाई है ,
टेसू से लाली ,
गेहू की बाली।
आमराई से मोर,
भांग की गोली।
यह सब होली का रूप है ,
बेरंग न रहे कोई।
चलो खेले होली ,
चलो खेले होली।

कवि-डॉ. अमलपुरे सूर्यकांत विश्वनाथ ( हिंदी विभाग प्रमुख)
डॉ. श्री .नानासाहेब धर्माधिकारी कॉलेज, कोलाड तहसील-रोहा,
जिला- रायगड महाराष्ट्र
पिन- 402304

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