फिर एक बार कृष्ण तुम आ जाओ
फिर एक बार कृष्ण तुम आ जाओ
फिर घिर आया अंधियारा जग में ,
फिर अधर्म का तांडव मचा हैं
फैला है कंस ,दुर्योधन – सा आतंक,
नहीं हैं सुरक्षित कोई आज यहां ।
अराजकता का बढ़ रहा साम्राज्य है,
मौन हो गया है सत्य और धर्म यहाँ ,
सबके दुख हरने धरा पर,
फिर एक बार कृष्ण तुम आ जाओ
खामोश नज़रें झुकाए बैठे हैं,
फिर एक बार भीष्म ,द्रोणाचार्य,युधिष्ठिर ।
दुर्योधन ,दुशासन, शकुनि कर रहे उपहास,
बार-बार द्रौपदी लज्जित हो रही आज।
हर बार वेदना से कर रही है पुकार
फिर एक बार चीर बढ़ाने आ जाओ।
सबके दुख हरने धरा पर आ जाओ,
फिर एक बार कृष्ण तुम आ जाओ
मौन में उसके कितने ही प्रश्न छुपे हैं ,
वेदना देख अब तो चुप्पी तोड़ो श्याम ।
कुरुक्षेत्र का मैदान बना है ,
जग यह सारा आज यहां पर ।
गीता का उपदेश पुनः देकर ,
फिर से अर्जुन को जाग जाओ ।
सबके दुःख हरने धरा पर,
फिर एक बार कृष्ण तुम आ जाओ ।
त्राहि- त्राहि कर रहे जन ,
आकुल -व्याकुल हो रहा मन ।
आस नहीं अब किसी की तुम्हारे सिवा,
पीड़ा हरे अब कौन तुम्हारे सिवा ।
पीड़ा हर कर अपने भक्तों की ,
सुख -चैन की बांसुरी बजा जाओ।
सबके दुख हरने धरा पर ,
फिर एक बार कृष्ण तुम आ जाओ ।
फिर एक बार कृष्ण तुम आ जाओ ।
किंजल ईलेश मेहता
गोंदिया, महाराष्ट्र