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मेरे घनश्याम

मेरे घनश्याम

कृष्ण कान्हा आए द्वार
धरती का करने श्रृंगार
कृष्ण,कर्मवीर
श्याम मुरलीधर
घुन्घराले बाल
कजरारे नैना
सिर पर मोर पंख
नीले रंग में रंगे
पीला वस्त्र
मुरली मनोहर
मेरे घनश्याम
जगधारी
गोपाल
बंसी बजैय्या
कान्हा जी
गोपियों संग
नृत्य
पालनहारी
उद्धारक
किसना जी
राधा प्रेम दिवानी
मीरा दरस दिवानी
प्रेम के सागर
वाले बंसीधारी
हंसमुख चेहरा
पैरो में पेयजन्या
रास सुरो का रचने वाले
बंसी की धुन में है
गजधारी पहाड़ अंगुली पर
टिकाने वाले चमत्कारी
करतब दिखाते और गायब हो जाते
दुखो को मिटाते
गरीबों की सहायता करते
दुष्टों का नाश और सर्वनाश
करने वाले राधा के
प्रेम में दीवाने सावन माह में
झूले झूलना नटखट अदाए दिखाए
मां यशोदा को सताने वाले अल्हड़
अठखेलियां करने वाले
माखन चुराने वाले
बाल अठखेलियां करते
सखियों संग होली के रंग में रंगने वाले
बंसीधारी मुरली मनोहर
पनघट पर रास रचाते खूब रिझाते
चिढ़ाते पालनहार मुरलीधर
है ताल भेरवा पापी को सबक सिखाते
मन ही मन मुस्काते है नाव सविय्या
पार लगाते
अपने रंग दिखाते बुराई से बचाते
धरती पर ईश्वर का अवतार
बताते तभी तो घनश्याम कहलाते

डॉ. संजीदा खानम ,शाहीन

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