एक बार कर दो मोहन
एक बार कर दो मोहन
नजर-ए-करम की हम पर एक बार कर दो मोहन
मंझधार में है नैया उसको पार कर दो मोहन
आया हूं तुम्हारे दर पर बन करके मैं सवाली
भरते हो सभी की झोली जाता न कोई खाली
हम पर भी अपनी दया की बौछार कर दो मोहन
नजर-ए-करम की हम पर एक बार कर दो मोहन
तेरे इस जहां में हैं गरीब बच्चे कितने भूखे
शरीर पर न ढंग के कपड़े घर में पड़े हैं सूखे
खुशियों से भरा उन सभी का संसार कर दो मोहन
नजर-ए-करम की हम पर एक बार कर दो मोहन
पाप के बोझ से हो गई ये धरती बहुत भारी
त्राहि त्राहि कर रहे हैं जग में सभी नर नारी
पीड़ाओं से सारे जग का उद्धार कर दो मोहन
नजर-ए-करम की हम पर एक बार कर दो मोहन
अन्यायी अत्याचारी बहुत ही अन्याय कर रहे हैं
इनके हाथों से बेचारे निर्दोष मर रहे हैं
सुदर्शन चक्र से इन दुष्टों का संहार कर दो मोहन
नजर-ए-करम की हम पर एक बार कर दो मोहन
जिस तरह से तुमने द्रौपदी की लाज है बचाई
आज फिर से वह जरूरत नारी समाज है कन्हाई
नारी की साड़ी का फिर से विस्तार कर दो मोहन
नजर-ए-करम की हम पर एक बार कर दो मोहन
एक बार फिर इस धरती पर अवतार लो कन्हैया
अपने रूप के दरश करा दो संसार के रचईया
प्रार्थना हमारी सहर्ष स्वीकार कर दो मोहन
नजर-ए-करम की हम पर एक बार कर दो मोहन
जय श्रीराधेकृष्ण
राम जी तिवारी”राम”
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)