गुरु आपकी हो कृपा यदि
गुरु आपकी हो कृपा यदि
गुरु आपकी हो कृपा यदि, हम राह नित शुभ ही चलें।
उर में सदा शुचि भावना, हर जीव के निमित्त पलें।।
हो ज्ञान के भंडार तुम, समकक्षी हैं शिष्य सभी।
रखते सभी पर नेह सम, गुरु नाम है पावन तभी।।
अनुकरणीय पथ आपका, हम आप साँचे ही ढलें।
गुरु आपकी हो कृपा यदि, हम राह नित शुभ ही चलें।।
शतपत्र माला कंठ में, रोली तिलक चंदन करूँ।
परिधान धारण पीत छवि, निशिदिन नयन अपने भरूँ।।
श्रद्धा सुमन अर्पित चरण, घृत से भरे दीपक जलें।
गुरु आपकी हो कृपा यदि, हम राह नित शुभ ही चलें।।
गुरु पूर्णिमा का पर्व है, हर मुख खुशी सी छा गई।
देते बधाई आपको, मंगल घड़ी शुभ आ गई।।
कर शीश हो गुरुदेव का, संकट सभी मेरे टलें।
गुरु आपकी हो कृपा यदि, हम राह नित शुभ ही चलें।।
डॉ ऋतु अग्रवाल
मेरठ, उत्तर प्रदेश
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The best respectfully emotions for teachers in this poem. Hearty congratulations to this nice poem !