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पेड़ों का दर्द

पेड़ों का दर्द

प्रकृति का अनूपम अमूल्य भेंट है पेड़।
ईश्वर का शुध्द जल  आचमन है पेड़।
पेड़ काट दोगे तो सांसे कहाॅं से लाओगे।
जाप पूजा अर्चना जीवन की सृष्टि है पेड़।

पेड़ो को काट- काट,  चले जाते है लोग।
दर्द तो देते है, दवा भी नही करते है लोग।
हम फलों से लदे पेड़, हंसते रोते बोलते नही ।
कष्टसाध्य तपस्या का, मज़ाक़ उड़ाते है लोग।

टूटा हूं  पर झुका नही हिमालय सा खडा़ हूंँ।
थक गया हूंँ पर रूका नही, मंज़िल पे बढ़ा हूंँ ।
मै आदमी लालची नही, हूंँ जीवित पेड़ का ठूठ।
सांसो मे रहेगी सांस फल देना छोड़ता नही हूंँ  ।

जिदन्गी भर खट्टे मीठे फल खाते रहे।
मेरी छाया में बच्चे जवान बूढ़े होते रहे।
प्रकृति के स्वर्ण युग को घायल कर दिया।
मै प्राणवायु देता रहा तुम विश्वास घात करते रहे।

जी एल जैन
जबलपुर मध्यप्रदेश

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