मुरादाबाद की 71 साल की नीता जैन ने टीएमयू मेडिकल कॉलेज को दान की देह
मुरादाबाद की 71 साल की नीता जैन ने
टीएमयू मेडिकल कॉलेज को दान की देह
देहदान महादान: सोनकपुर की नीता जैन की देह पर तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर के एनाटॉमी विभाग के स्टुडेंट्स करेंगे शोध
जीवित थीं तो जीवनभर धर्म और मानवता सर्वोपरि रहा, अब जब नहीं रहीं तो भी सामज के लिए मुरादाबाद के सोनकपुर की वयोवद्ध महिला श्रीमती नीता जैन अनूठी मिसाल पेश कर गईं हैं। उन्होंने तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर को अपनी देहदान की है। मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में एमबीबीएस और एमडी के स्टुडेंट्स उनके अंगों पर शोध और परीक्षण कार्य करेंगे। धार्मिक विचारों वाली श्रीमती नीता जैन ने अपने संकल्प पत्र में इच्छा जताई थी, मेरी मृत्यु के बाद मानवता की भलाई और मेडिकल साइंस के विकास के लिए मेरी देह टीएमयू मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर को समर्पित कर दी जाए। उल्लेखनीय है, 71 वर्षीया श्रीमती नीता जैन का 08 मई को देहावसान हो गया था। टीएमयू मेडिकल कॉलेज के डीन एकेडमिक्स प्रो. एसके जैन बताते हैं, नई शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं में कई बाधाएं आ सकती हैं, जिन्हें शव विच्छेदन के जरिए अपडेट होकर समाप्त किया जा सकता है। शव न केवल मेडिकल स्टुडेंट्स और डॉक्टर्स को मानव शरीर के फंक्शन्स, बल्कि आंतरिक कमियों केे कारणों को समझने में मदद करते हैं।
श्रीमती नीता जैन के देहांत के बाद विल के अनुसार अब उनका पार्थिव शरीर परिवार वालों ने टीएमयू मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया है। श्रीमती नीता जैन के पुत्र श्री अंशुल जैन बताते हैं, उनके कारोबारी पिता श्री राकेश जैन का डेढ़ साल पहले निधन हो चुका है। टीएमयू मेडिकल कॉलेज के डीन एकेडमिक्स प्रो. जैन बताते हैं, जाने-माने यूनानी चिकित्सक गैलेन के मुताबिक एक साधारण शव परीक्षण घातक बीमारियों या विकारों की उत्पत्ति को निर्धारित करने में मदद कर सकता है। शव परीक्षण यह जानकारी भी प्रदान कर सकता है कि शव के भीतर कुछ दवाएं या प्रक्रियाएं कैसे प्रभावी रही हैं। मनुष्य कुछ चोटों पर कैसे प्रतिक्रिया करता है। उल्लेखनीय है, एनएमसी के मानकों के मुताबिक मेडिकल की पढ़ाई के लिए 10 छात्रों पर एक कैडिवर की आवश्यकता होती है। चीफ मैनेजर एडमिन श्री अनिल गुप्ता कहते हैं, कोई भी व्यक्ति अपना शरीर या अंगदान तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर को कर सकता है। इसके लिए संकल्प पत्र भरना होता है। श्री गुप्ता कहते हैं, देहदान महादान की मानिंद है।