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हिन्दी की हो जय

हिन्दी की हो जय

हिंदी भाषा के उत्थान को ,हम सबको आगे आना है ।
मातृभाषा के लिए किया जो वादा ,उसे अब निभाना है ।।
हिंदी की हो जय ,हिंदी की हो जय

सभी क्षेत्रीय भाषाओं को भी ,हमको साथ चलाना है ।
अपनी भाषा अपनी पहचान ,यह भाव सबको बताना है ।।
हिंदी की हो जय ,हिंदी की हो जय ।

हिंदी के साहित्यकारों ने देखो ,बनाया सबको दीवाना है ।
हिंदी की महिमा को सदैव , हर भारतीय ने अब जाना है।।
हिंदी की हो जय ,हिंदी की हो जय ।

सूर्य कबीर तुलसी हो या, दिनकर पंत निराला हो।
हर हिंदी प्रेमी देखो अब ,बना हिंदी का रखवाला है ।।
हिंदी की हो जय ,हिंदी की हो जय ।

देश की एकता का सूत्र तो, सबने हिंदी को ही माना है ।
सबके सामूहिक प्रयास से ,इसे राष्ट्रभाषा बनाना है ।।
हिंदी की हो जय ,हिंदी की हो जय ।

भारत के हर प्रदेश में, हिंदी को ही ज्यादा पहचाना है ।
हर भारतीय के जनमानस में ,हिंदी को ही बसाना है ।।
हिंदी की हो जय, हिंदी की हो जय

हिंदी ही है उनके हृदय में, यह एहसास करना है
इसके बल पर हमको , भारत का विकास कराना है ।।
हिंदी की हो जय ,हिंदी की हो जय ।

भाषा बोली और लिपि, हिंदी की तो बहुत आसान है ।
हिंदी के बलबूते मित्रों,अपना भारत बना महान है।।
हिंदी की हो जय, हिंदी की हो जय ।

स्वरचित मौलिक रचना
क्षेत्रीय संयोजक
प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा जबलपुर मध्य प्रदेश, इकाई पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहारनपुर

बृजेश शर्मा
मुख्य मंत्री अध्यापक पुरस्कार प्राप्त शिक्षक,
सहारनपुर उत्तर प्रदेश

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