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सामाजिक विचारक

सामाजिक विचारक

समाज मानवीय पीड़ा दुःख और दर्द इन शब्दों में इतनी नकारात्मकता है की जब भी इंसान इन शब्दों के बारे में चर्चा करता है । तो उसे मन में तकलीफों के अलावा कोई विचार नहीं आता किंतु यदि हम इन शब्दों पर गहराई से गहन चिंतन करें, तो ये वो नकारात्मक शब्द है। जो हमारे जीवन में सकारात्मकता का संचार करते है। ये वो शब्द है जो हमे इंसान होने का एहसास दिलाते हैं और हमे समाज में योग्य स्थान प्राप्त करने की ताकत देते है । पीड़ा से ही मनुष्य का जन्म होता है माता अपने गर्भ में शिशु को 9 माह की पीड़ा सहन करने के बाद असहनीय पीड़ा सह कर जन्म देती है। यदि स्त्री ये पीड़ा सहन न करे तो शायद जीव का जन्म ही न हो। दुख और कष्ट ये शब्द जितना ही नकारात्मक है । उतना ही हमारे जीवन में उपयोगी है। जब हम कष्ट भोगते हैं, तो हम सफल बनते है जीवन में कुछ पाने के लिए दुःख कष्ट तकलीफ का सामना करना ही पड़ता है । जीवन के उच्चतम लक्ष्यों की प्राप्ति में मनुष्य को कष्ट होता है। वह अपना सुख चैन त्याग कर अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मेहनत करता है विद्यार्थी उच्चतम अंक के लिए ,खिलाड़ी अपने अच्छे खेल प्रदर्शन के लिए , व्यापारी अपने व्यापार के लिए ,नौकरी पेशा व्यक्ति पदोन्नति के लिए । जब हम परिश्रम करते है तो इस नश्वर शरीर को कष्ट होता है। और यही कष्ट हमे चेतन बनाता है । और जब हमारे अंदर चेतना आती तब हम वास्तव में जीवित होते है। और मनुष्य की श्रेणी में आते है। और यदि हमारे जीवन में दुःख है। तकलीफ है या कष्ट है तो हमें ये विचार करना चाहिए की हम सफलता और परिवर्तन की ओर अग्रसर हो रहे है। और हम प्राकृतिक जीवन में सफल होने की क्षमता ईश्वर से लेकर आए है । यही दृढ़ निश्चय और सकारात्मक विचार एक दिन हमे सफलता और जीवन के लक्ष्यों की प्राप्ति अवश्य कराएगा और एक दिन अवश्य ही हम साधारण से बढ़कर एक असाधारण व्यक्तित्व के धनी होंगे।

बीएल भूरा, भाबरा जिला-अलीराजपुर मध्यप्रदेश

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