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विजयदशमी

विजयदशमी

विजयादशमी त्यौहार।
बुराई पर अच्छाई का वार।
लिया धर्म का अवतार।
किया दुष्ट का संहार।
श्री राम की गाथा है । सुनीता।

शुभ की आगमन करना।
अशुभ का अंत करना।
अधर्म पर वार करना ।
धर्म का पालन करना।
विजयदशमी का सीख है। सुनीता।

दुष्ट रावण का अंत हुआ।
श्री राम का आगमन हुआ।
लोगों की प्रतीक्षा पूरा हुआ।
अयोध्या पूरा कुश हुआ
दीपों से चमकता हुआ। सुनीता।

स्त्री शक्ति की है युक्ति
नौ माताओं की हैं शक्ति ।
दिलाई है दुष्ट से विमुक्ति।
प्रजा है दुरागतों से मुक्ति।
प्रजाभीष्ट ही संस्कृति। सुनीता।

महिषासुर ने तप किया ।
ब्रह्मा जी को प्रत्यक्ष पाया।
मृत्यु ना होने का वर लिया।
त्रिलोकों में अधिकार पाया।
हा-हा-कार मचा दिया है । सुनीता।

महिषासुर को मारना था।
स्त्री सक्ति से मृत्यु होना था।
देव देवताओं से ना हुआ था।
मांँ का शक्ति ही एक मार्ग था।
मांँ की आराधना सब ने किया था। सुनीता।

मांँ शक्ति प्रसन्न हुई।
देवों से शास्त्र पायी हुई।
सिंह वाहन पर बैठी हुई।
महिषासुर से युद्ध हुई।
प्रचंड रूप में हैं माता ।सुनीता।

महिषासुर से युद्ध हुआ।
सिर उसका कटा हुआ।
जमीन पर गिरा पड़ा हुआ।
अत्याचारों का अंत हुआ।
मोक्ष प्रदायिनी माता। सुनीता।

इतिहासों में गाथाएँ हैं।
कई प्रकार प्रचलित है।
सबका सारांश एक ही है।
दुष्टों का अंत करना है।
जीवन में खुशियाँ लाना है। सुनीता।

विजयदशमी का त्यौहार है ।
दस दिन मनाया जाता हैं।
समी वृक्ष पूजा करना है ।
नीलकंठ पक्षी को देखना है।
शुभ ही शुभ अवसर है।सुनीता।

भक्ति में जूझ रहा जमाना ।
सुनाई दे रही मंत्रोच्चारण ।
हर किसी से है मांँ का सामना।
जानती है दिल की भावना।
पूरा करती है मनोकामना। सुनीता।

मंदिर में है सबका जाना।
भक्ति से माता की पूजा करना।
फल प्रसाद को चढ़ाना।
देवी मां की गीत गाना।
मां से मन की आरती करना। सुनीता।

मीनुग सुनीता आंध्रप्रदेश

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