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पुलवामा के शहीदों को नमन

लहू वीरों का केसर बन गया
गद्दारों को हमने ललकारा था।
फेंक तोप का गोला हिंद ने
गद्दारों को चुन चुन कर मारा था।।१
नमक हराम बनकर
कश्मीर में सांप सपोले बैठे थे।
केसर के चमन में रहकर
बम बारूद को बो रहे थे।।२
वीरों की कुर्बानी को हमने,
व्यर्थ जाने नहीं दिया था।
दुश्मनों के घर में घुसकर,
मौत का तांडव मचाया था।।३
गिन गिन कर लिया बदला हमने,
हिंद ने दुश्मनों को ललकारा था।
तुमने तो कायरता से मारा,
हमने सीने में बम उतारा था।।४
पुलवामा की धरती पर गिरा,
खून का हर कतरा हमारा था।
वीरों की मां को नमन करें हम,
जिसका सपूत वतन पर वारा था।।५
वतन पर जान लूटा गए
शहादत इंकलाब की उनकी कहानी।
उन वीर शहीदों को नमन
बरसो याद रखेगा हिंदुस्तानी।।६
डॉ. विजय पाटिल
शिक्षक सह साहित्यकार
जिला बड़वानी मप्र

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