रोग अनुसार योग
रोग अनुसार योग
जिसको जैसा रोग हो भाई
वैसा योग हीतुम करना भाई
अनु लोम विलोम व कपाल भाती ,
इसमें सांसें रहें आती जाती ।।
पेट की गैस निकालो बाहर
करना भास्तीका है जग जाहिर।।
मानसिक संतुलन यदि बनाना
तो फिर प्राणयाम है करना ।।
थायरायड में करो उज्जई ,
प्यास लगे तो शीतली करना ।।
उच्चतम ताप जो कम करना है
तो अनु लोम विलोम ही करना है ।।
जोड़ों के दर्द में व्यायाम है करना।
चक्की चलाना ,कमर दर्द भगाना ।।
घुटनों के दर्द को दूर जो करना तो,
घुटनों को ही घुमाना फिराना ।।
सब रोगों को दूर भगाने ,
सूर्य नमस्कार सुबह ही करना ।।
ताड़ासन ,गरुड़ासन ,धनुरासन ,करना।
बजरासन कर कब्ज भगाना ।।
ऐसे योग करोगे जो भाई ,
रोगों को दूर करोगे भाई ।।
और गहनता से जो है जानना,
पतंजलि योगपीठ है जाना।।
या हरिद्वार शक्ति कुंज है जाना ।।
केवल योग दिवस पर ही योग न
प्रतिदिन भोर में नित ही करना ।।
योग करो ,योग करो
रोगानुसार ही योग करो ।।
डॉ, सुषमा वीरेंद्र खरे सिहोरा जबलपुर